Book Title: Bruhad Dharana Yantra
Author(s): Darshanvijay
Publisher: Charitra Smarak Granthmala
View full book text
________________
श्रीबृहद् धारणायंत्र।
उत्त सिरवच्छ सवणे लच्छीसुह बंधवाण खयं २० (१४६) पडिमा रउद्दजासा कारावयं हंति सिप्पिमहिअंगा
दुब्बल दव्वषिणासा किसोयरा कुणइ दुभिक्खं २१ ।। ( १४७) बहुदुक्खं धक्कनासा हस्सांग खयकरियनायव्वा
नयणनासं कुनयणा अप्पमुहाभोग हाणिकरा २२ (१४८) कडि हिणाऽऽयरियहया सूअवंधव हणई हिणजंघाय
हिणाऽऽसणरिध्धि हया धणख्खया हिणकरणा य २३ ( १५०) उत्ताणा अत्थहरा वक्कंगी वासदेस भंगकरा
अहोमुहि य सचिंता विदेसदा हवइ निचुच्चा २४ ( १५१) विसमासण वाहिकरा रोरकरऽन्नायव्वनिपन्ना
हिणअंग पडिमा- सपक्क परपषन ककरा २५ (१५०) उड्डमुही धणनासा
+ आ तिरिअदिष्टि विन्नेया अइअड्ड दिहि असुहा हवइअहोदिहि विग्धकरा २६ चउभुअ सुराण आउह हवंति केसंत उप्परि जइता करण करावण थप्पण- हाराण प्पाण देस हया चउब्बीसजिनवर नवग्गह जोइणी व उसकी वीरबावन्ना चउव्वीस जक्ख जक्खिणी दिसवइ सोल विजसूरी २८ नवनाह सिध्धचुलसी हरिहर बंभोंद दाण वाइणं वन्नंकनाम आउह वित्थर गंध्याओ जाणिजा २६ प्रतिमायाः छत्र त्रयोपरिमुक्तंजलंनासाने पतति तदाशुभामूतिः भूयुगलमध्येपतति तदा अशुभामूतिः १०१, श्लो० अ०इति ठक्कुर फेरु विरचिते वास्तुसार शास्त्रे बिंबपरीक्षा
प्रकरणं समाप्तम् ( १५७) एतद्विब परीक्षण प्रकारान्तरेण विवेक विलासेपिदृष्यते
तत्श्लोकोकसंख्यातु गाथायाः आदौलिखितास्ति
पित्तलसुवन्नरुप्पय रयणाणं वंदकंत(१)माइणं (भा० वि०) कुझाओ लक्खणजुआ सत्तंगुलजाब नो अहिया

Page Navigation
1 ... 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112