Book Title: Bruhad Dharana Yantra
Author(s): Darshanvijay
Publisher: Charitra Smarak Granthmala
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मंगलं :
समूह: :---
न्यासः :--
अक्षरा::
अनुसंधानं :--
यंत्रफलम् :--
अक्षर
नक्षल
भ
इ
भो
काकी मृग
प्रणम्य परमेष्ठिनं
साक्षरमेव विन्यास:
स्वराः सस्वरकाद्यानि
राशिम वर्ग पैक्येन
एवं भवेत्चतुःषष्ठी अक्षराणां च सर्वेषां
श्रीबृहद् धारणायंत्र |
अध्याय ३
प्रत्यक्षरं प्रतिपंक्तिं
यथाई योनि वर्णादि
अइ ओका कुके खाखी
जुकाटाटे टोडडाडी
दुदेधान नोपपुपे
मोययेरा रुलि लेवा
चतुःषष्ठयक्षराः श्चेति हस्वदीर्धक्य भाजस्ते
साधक साध्ययोर्योगे
( यदायोगस्तु साध्यस्य
तदाऽऽशु जायते ज्ञानं
कृतिका | मेष
मेष
कृतिका
रोहिणी
योनि
सर्प
सर्प
M
5 XX
शिघ्रबोधाय तन्यते
साध्य साधक मेलकः
रा अं
भवन्ति नामनि ततः
समूहः क्रियते पृथक्
सर्वाक्षर कूट यंत्रः ( ६४ )
#
भिन्न राशिभवर्गतः तन्न्यासः क्रियते क्रमात् ३
स्थाप्यते स्वक भाविक
यथास्यात सुकरास्वद्भक्
गगुगोघा चचुछजा ढणता तितोथा ददि
फबाबे भाभेभोम
वेशषास सेहा हिदु
अनुक्ताः पूर्वगामिनः सर्व नाम्नि व्यवस्थिताः
दिक्षाभवति यदा साधकेन दिक्ष्यते) सुलभं यंत्रदर्शनात्
तारा | गण नाड़ी | युजि | राशि स्वामी वर्ष वर्ग
35
मंत्र
वृष
वृष
मिथुन
भौम
शु
GAL
८
罗者可可
२३
६
१३

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