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श्रीवृहद् धारणा यंत्र |
साधक अक्षर ज १०(जुजूजेजैजोजो अभिजित्) (जजि १ भवेधः*)
योनिः वर्गः | विशोषक गणः
च लभ्यं
| साध्य नाम
साध्यं
तारा:
स्वकीयं ३ नकुल
विरुभ्धं ५,७,६ सर्प
:
१ ऋषभनाथ
२ अजितनाथ
३ | संभवनाथ
४ अभिनंदन
५ सुमतिनाथ
६ पद्मप्रभु
अशुभ
७ सुपार्श्वनाथ अशुभ चंद्रप्रभु
६ सुविधिनाथ
१०
शीतलनाथ
११ श्रेयांसनाथ
१२ | वासुपूज्य
१३ विमलनाथ
१४ अनंतनाथ
धर्मनाथ
१५ १६ शांतिनाथ
१७ कुंथुनाथ
१८ अरनाथ
"
मल्लिनाथ
१६
२० मुनिसुव्रत
२१
नमिनाथ
नेमनाथ
२२ २३ पार्श्वनाथ २४ वर्धमान
4
महावीर स्वामी
अशुभ
अशुभ
अशुभ
अशुभ
अशुभ
अशुभ
शि पतिः एकनाथ
मकर
शनि कुंभ
स्वा
वैर
वैर
वर्णः
वैश्य
य
वैर
(बैर)
१॥
३॥
२॥
=
देयं राक्षस
स्व
१॥
Fra =
21:
11
१॥
१11 (21)
१
राशि
मनुष्य भकर
१॥ अशुभ | शत्रु
मध्यम
23
१॥ अशुभ
१ ॥
स्वगणा
#
वश्यं कर्क मीन
31
31
मध्यम
अशुभ
स्वगया
मध्यम
""
नाडी
अंत्य
सिंह अंत्य
अशुभ | एक * वेध
अशुभ
(२) स्व
शुभ
प्रीति
""
मध्यम स्वराशिः ! वेध
श्रेष्ठ
शुभ
19
मध्यम
श्रेष्ठतर वेध
शुभ
अशुभ
33
अशुभ शुभ
मध्यम
"
सम
श्रेष्ठ
वेध
बेध
27
वेध
वेध
33
श्रेष्ठ
स्वराशि: । बेध
श्रेष्ठ
मध्यम
श्रेष्ठतर वेध
मध्यम
કર
युजि
नक्षत्रं उ० पा० ! पश्चिम