Book Title: Bruhad Dharana Yantra
Author(s): Darshanvijay
Publisher: Charitra Smarak Granthmala

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Page 20
________________ श्रीबृहद् धारणायंत्र। राशेरेकाधिपत्यं वा स्वामिनो मित्रतातदा षष्टकोपिदंपत्योः नारचंद्रे शुभावहः ५५ परमार्थवनम् :- एवंश्रेष्ठतरं श्रेष्ठ शुभं मध्यमज रिपु अशुभंप्रीतिनेष्टंचे- क्यमशुभतरंसम वर्गाः:- गरुड ओतुः सिंहश्व कुक्कुर: सर्प उंदरः मृगो मेषोऽष्टवर्गेशा: क्रमेण अकचादीनाम् ५७ वर्गाणां पंचमेवरं वयं प्रसिद्ध नामयोः बलिष्ठे साधके वर्ग वर्ग वैरं न दोषकृत् ५८ विशोपकः - प्रसिद्धनामाक्षर वर्गपांको क्रमोत्क्रमेणाऽष्ट विभक्तशेषौ कृतार्धको साधकसिद्धयोस्तौ विशोपकः स्यात् प्रथमेन देय: ५६ प्रथम नामतो लभ्यो द्वितीयेन विशोपकः परस्परेणशोध्यौतो केनार्धककद्यथा ६० ग्राम धारयायांतु :-जन्ममात्ग्रामविताया राशियोगो मतोन्यथा ___ केचित्तुकांकीणी प्रोचुः ग्रामस्यधारणागतो ग्राम राशि: :--- स्वराशेः दुःखदो ग्रामः एक त्रिषष्ठ सप्तमः तुर्योऽष्टमोद्वादशमो मध्यमोऽन्यतरः शुभः ६२ जन्मराशिस्थितो ग्रामः त्रिषष्ठः सप्तमोपिवा स्वकियोद्रव्यनाशाय आपदाच पदेपदे ।। १ ।। पंचमो नवमो ग्रामो द्वितीयो यदिवा भवेत् (प्रा० ३१२३, टीका)-दशमैकादशश्चैव शुभ:सफलताप्रदः ॥ ३॥ भारणागती ग्राम राशियंत्रः ग्रामराशि १३६७२५९ १० ११ ४८ १२ । द्रव्यनाश अर्थव्यय शम फलम्

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