Book Title: Bhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Author(s): Trilokchandra Kothari, Sudip Jain
Publisher: Trilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan

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Page 136
________________ दिगम्बर जैन-समाज भी विभिन्न जातियों में विभाजित है। मात्र जैन कोई नहीं है। इनकी पहचान किसी न किसी जाति में समाहित हुये बिना नहीं है। दिगम्बर जैन-जातियों की संख्या निश्चित नहीं है। वैसे अधिकांश जैन-विद्वान् 84 जातियों के नाम गिनाते हैं। 84 की संख्या उत्तरी भारत में बहुत प्रचलित है; इसलिये 84 जातियों का उल्लेख आता है। विभिन्न शताब्दियों में होने वाले विद्वानों ने भी जो जातियों का विवरण लिखा है, उसमें समानता नहीं है। 15 वीं शताब्दी के विद्वान् ब्रह्म जिनदास ने सर्वप्रथम 84 जातियों के नाम गिनाये हैं, लेकिन उसके पश्चात् होने वाले कवियों द्वारा प्रतिपादित जातियों का विवरण ब्रह्म जिनदास से नहीं मिलता है। आठवीं शताब्दी के कवि बख्तराम साह ने लिखा है कि "उन्होंने 5-7 पोथियों को देखकर इन जातियों के बारे में लिखा है।" उनके युग में कितनी जातियाँ मिलती थीं – इस बारे में वह मौन हैं। सन् 1941 में जातियों की जनगणना की गई थी, तब 84 के स्थान पर केवल 70 जातियों की जानकारी दी गई। उस समय देश में 70 जैन-जातियों की जनसंख्या निम्नप्रकार थीक्र.सं. जाति-नाम जनसंख्या | क्र.सं. जाति-नाम जनसंख्या 1. खण्डेलवाल 64729 2. जैसवाल 11089 अग्रवाल 67121 4. परवार 54873 5. पल्लीवाल 4272 गोलालारे 5582 7. विनैक्या 3685 8. ओसवाल (दि.) 747 9. बरैया 1584 गंगेरवाल 772 11. दिगम्बर जैन 1167 पोलवा 13. बुढेले 566 14. लोहिया 602 गोलसिघारे 529 खरौवा 1750 17. लमेचू 1977 18. गोलापूर्व 10834 चरनागरे 1987 धाकड़ 1272 21. कठनेरा 699 22. पोरवाड़ 2581 कासार 9987 बघेरवाल 4324 __ अयोध्यावासी 592 26. काम्भोज 705 27. समैया 1107 28. असाटी 467 29. हूंबड (दस्साबीसा) 20634 30. पंचम 32556 31. चतुर्थ 69285 32. बदनेरे 501 6. 10. 12. 115 15. 10118 भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ

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