Book Title: Bhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Author(s): Trilokchandra Kothari, Sudip Jain
Publisher: Trilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan

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Page 176
________________ श्रवणबेलगोला, जहाँ भगवान बाहुबलि की विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसमें अभिषेक के दो बार विशाल आयोजन हो चुके हैं। वे मूडबिद्री, हुमचा, कोल्हापुर की गद्दियाँ अपना प्रमुख स्थान रखती हैं। सभी भट्टारकों द्वारा समाज के प्रत्येक कार्यक्रमों में पूरा सहयोग प्राप्त होता रहता है। मूडबिद्री में 'सिद्धान्तबसदि' में हीरे-पन्ने आदि की बहुमूल्य मूर्तियाँ सुरक्षित हैं। महावीर-जयंती मनाने का प्रारम्भ : दिल्ली की प्रसिद्ध संस्था 'जैन-मित्र-मण्डल' द्वारा भगवान् का जन्म-दिवस मनाया जाना प्रारम्भ हुआ, उसके पश्चात् भारत में अनेकों संस्थाओं द्वारा यह दिवस मनाने का कार्य प्रारम्भ हो गया। आज कोई ऐसा क्षेत्र नहीं, जहाँ यह दिवस मनाया नहीं जाता हो। इस दिवस पर विशाल शोभायात्रायें निकाली जाती हैं। समारोह में देश के राजनीतिज्ञ, शासकीय अधिकारी, मंत्रीगण, साधु-साध्वी, विद्वानों के अतिरिक्त हजारों की संख्या में भाई-बहन सम्मिलित होते हैं। केन्द्र सरकार व प्रादेशिक सरकारों द्वारा सार्वजनिक अवकाश रहते हैं। महावीर-जयंती पर केन्द्र सरकार द्वारा अवकाश घोषित : स्वतंत्रता के बाद सबसे प्रथम बनी लोकसभा एवं राज्यसभा में जैन-समाज के 22 सदस्य थे, उन्होंने मिलकर उसके अतिरिक्त जैन-समाज के अन्य अग्रणीय व्यक्तियों को लेकर 'आल इंडिया महावीर जयंती कमेटी' के नाम से संस्था गठित की, जिसके द्वारा प्रतिवर्ष विशाल आयोजन होने प्रारम्भ हुये, जिनमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य मंत्रीगणों के अतिरिक्त समाज के प्रमुख आचार्य मुनिगण, विद्वान् व बड़ी संख्या में समाजसेवी सम्मिलित होते रहे। इस समिति के तत्त्वावधान में भगवान् महावीर के जन्मदिन के लिये सार्वजनिक अवकाश कराने की माँग को लेकर बराबर प्रतिनिधिमण्डल गृहमंत्री व प्रधानमंत्री जी से मिलते रहे। केन्द्रीय सरकार द्वारा अवकाश घोषित करने के पश्चात् इस समिति को बन्द कर दिया गया। दिल्ली के रामलीला मैदान में इस सम्बन्ध में विशाल आयोजन इसी कमेटी ने ही किया था। बच्चों में नैतिक-शिक्षा : पिछले कुछ वर्षों से बच्चों में नैतिक-शिक्षा देने के लिये प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। शिक्षण-शिविरों के आयोजन में विद्वानों द्वारा बच्चों में नैतिक-शिक्षा देने का प्रयास चल रहा है। गर्मियों की छुट्टियों में शिविरों के आयोजन किये जाते हैं। पारितोषिक योजनायें : भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा देश की भिन्न-भिन्न भाषाओं के विद्वानों द्वारा जो साहित्य प्रकाशित होता है, उनमें से चयन करके यह संस्था प्रतिवर्ष विशाल आयोजन कर उन्हें सम्मानित करती है। आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज की प्रेरणा से जैनधर्म के प्रसिद्ध विद्वानों को भी भिन्न-भिन्न विषयों पर सम्मानित किया जाना प्रारम्भ हुआ है। 00158 भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ

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