Book Title: Bhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Author(s): Trilokchandra Kothari, Sudip Jain
Publisher: Trilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 180
________________ प्रेरणा देती आ रही हैं। आपने दिल्ली-मेरठ राजमार्ग पर विशाल मन्दिर-आदि भवनों का निर्माण कराकर साधना-केन्द्र स्थापित किया है, उसके द्वारा गतिविधियाँ चल रही हैं। जैन-समाज को साहू-परिवार का योगदान : साहू सलेकचन्द जी व साहू जुगमुन्दरदास जी व उनके परिवार के अन्य महानुभाव प्रारम्भ से समाज की गतिविधियों में सक्रिय सहयोग देते रहे हैं। उसके बाद साहू श्रेयासंप्रसाद जी, साहू शांतिप्रसाद जी ने व्यापकरूप से सहयोग दिया व उनके बाद साहू अशोककुमार जी, साहू, रमेशचन्द्र जी का समाज को सहयोग प्राप्त हैं सन् 1932 में जैन-स्टूडेन्ट कांफ्रेस बाबू लालचन्द जैन, एडवोकेट, रोहतक, की अध्यक्षता में श्री हस्तिनापुर जी में आयोजित हुई। इस समय साहू शांतिप्रसाद जी मेरठ कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। उन्होंने अपने अन्य साथियों के साथ मंच पर आकर विवाहों में होने वाली माँग के विरुद्ध विचार व्यक्त किये व स्वयं माँग न करने की शपथ ली। देश के प्रसिद्ध उद्योगपतियों में श्री राममिशन डालमिया जी का प्रमुख स्थान है। उनकी सुपुत्री श्रीमती रमा जैन के साथ साहू शांतिप्रसाद का विवाह होने के बाद कलकत्ते निवास करने लगे। साहू श्रेयांसप्रसाद जी लाहौर रहते थे। उन्हें देशद्रोही घोषित कर दिया था, तब वे लाहौर छोड़कर मुम्बई चले गये थे। डालमिया नगर (बिहार) में कागज, सीमेंट, चीनी इत्यादि अनेकों प्रकार की फैक्ट्रियाँ कार्य करती थीं। इन सबको साहू शांतिप्रसाद जी देखते थे। इसके अतिरिक्त प्रकाशन विभाग 'बनेट कोलमैन एण्ड कं. लि.' आदि महत्त्वपूर्ण फैक्ट्रियों के मालिक हो गये। उधर मुम्बई में साहू श्रेयांसप्रसाद जी ने कई महत्त्वपूर्ण फैक्ट्रियाँ स्थापित की। जैन-समाज की प्रमुख संस्था 'भारत-जैन-महामण्डल' में दोनों साहू ने अग्रसर होकर सहयोग दिया। 1942 ई. में साहू शांतिप्रसाद जी की अध्यक्षता में कानपुर में दिगम्बर जैन-परिषद् का विशाल अधिवेशन हुआ। तब से वे परिषद् से बराबर जुड़े रहे। साहू श्रेयांसप्रसाद जी सन् 1950 में दिल्ली में अधिवेशन के अध्यक्ष बने। परिषद् को इन दोनों महानुभावों का सक्रिय सहयोग प्राप्त होता रहा। जैन-समाज, विशेषकर दिगम्बर जैन-समाज, का कोई ऐसा प्रमुख कार्य नहीं, जिसमें इनका अग्रसर होकर सहयोग नहीं हो। तीर्थों की रक्षा, जीर्णोद्धार कार्यों पर विशेष ध्यान दिया। भगवान् महावीर के 2500 वें निर्वाण-महोत्सव को जिस विशालरूप से मनाने के कार्यक्रम बने, उनमें इनका सबसे अधिक योग है, जिससे सारा जैन-समाज परिचित है। जैन-समाज के संगठन को बड़ी शक्ति प्राप्त हुई। कैलाशदेव भगवान् आदिनाथ निर्वाण-स्थली : प्रसिद्ध तीर्थ बद्रीनाथ में आदिनाथ आध्यात्मिक अहिंसा फाउन्डेशन, इन्दौर द्वारा विशालरूप से निर्माणकार्य हुआ है। आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज बद्रीनाथ जी की यात्रा करने के बाद घोषणा की थी कि “इस मन्दिर जी में जो मूर्ति है, वह भगवान् ऋषभदेव की है।" उसके पश्चात् यह समस्त कार्य प्रारम्भ हुआ। 00162 भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ

Loading...

Page Navigation
1 ... 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212