Book Title: Bhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Author(s): Trilokchandra Kothari, Sudip Jain
Publisher: Trilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
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ब्रह्मदेश (बर्मा) में जैनधर्म
शास्रों में ब्रह्मदेश को स्वर्णद्वीप कहा गया है। जनमत प्रसिद्ध जैनाचार्य कालकाचार्य और उनके शिष्य गया स्वर्णद्वीप में निवास करते थे, वहाँ से उन्होंने आसपास के दक्षिण-पूर्व एशिया के अनेक देशों में जैनधर्म का प्रचार किया था। थाइलैण्ड-स्थित नागबुद्ध की नागफणवाली प्रतिमायें पार्श्वनाथ की प्रतिमायें हैं। श्रीलंका में जैनधर्म
भारत और लंका (सिंहलद्वीप) के युगों पुराने सांस्कृतिक सम्बन्ध रहे हैं। सिंहलद्वीप में प्राचीनकाल में जैनधर्म का प्रचार था। मंदिर, मठ, स्मारक विद्यमान थे, जो बाद में बौद्ध संघाराम बना लिये गये।
सम्पूर्ण सिंहलद्वीप के जन-जीवन पर जैनसंस्कृति की स्पष्ट छाप दृष्टिगोचर होती है। जैन-मुनि यश:कीर्ति ने ईसाकाल की आरम्भिक शताब्दियों में सिंहलद्वीप जाकर जैनधर्म का प्रचार किया था। श्रीलंका में जैन-श्रावकों और साधुओं ने स्थान-स्थान पर चौबीसों जैन-तीर्थंकरों के भव्य मंदिर बनवाये सुप्रसिद्ध पुरातत्तविद् फर्ग्युसन ने लिखा है कि कुछ यूरोपियन लोगों ने श्रीलंका में सात और तीन फणों वाली मूर्तियों के चित्र लिये। ये सातयानों फण पार्श्वनाथ की मूर्तियों पर और 3 फण उनके शासनदेव धरमेन्द्र और शासनदेवी पद्मावती की मूर्ति पर बनाये जाते हैं। भारत के सुप्रसिद्ध इतिहासवेत्ता श्री पी.सी. राय चौधरी ने श्रीलंका में जैनधर्म के विषय में विस्तार से शोध-खोज की है। तिब्बत देश में जैनधर्म
___ तिब्बत के हिमिन-मठ में रूसी पर्यटक नोटोबिच ने पालीभाषा का एक ग्रंथ प्राप्त किया था, उसमें स्पष्ट लिखा है कि "ईसा ने भारत तथा मौर्य देश जाकर वहाँ अज्ञातवास किया था, और वहाँ उन्होंने जैन-साधुओं के साथ साक्षात्कार किया था।" हिमालय-क्षेत्र में निवासित वर्तमान हिमरी जाति के पूर्वज तथा गढ़वाल और तराई के क्षेत्र में पूर्वज जैन 'हिमरी' शब्द 'दिगम्बरी' शब्द का अपभ्रंशरूप है, जैन-तीर्थ अष्टापद (कैलाश पर्वत) हिम-प्रदेश के नाम से विख्यात है, जो हिमालय पर्वत के बीच शिखरमाला में स्थित है, और तिब्बत में है, जहाँ आदिनाथ भगवान् की निर्वाण-भूमि है। अफगानिस्तान में जैनधर्म
अफगानिस्तान प्राचीनकाल में भारत का भाग था, तथा अफगानिस्तान में सर्वत्र जैन-साधु निवास करते थे। भारत सरकार के पुरातत्त्व-विभाग के भूतपूर्व संयुक्त महानिदेशक श्री टी.एन. रामचन्द्रन ने अफगानिस्तान गये एक शिष्टमंडल के
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भगवान महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ