Book Title: Bhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Author(s): Trilokchandra Kothari, Sudip Jain
Publisher: Trilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
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'भारत जैन महामण्डल' के नाम से कार्य कर रही है। 'जैन-जगत्' इसका मुख्य समाचार-पत्र है। भगवान् महावीर का 2500वां निर्वाण-महोत्सव को मनाने की प्रेरणा इस संस्था द्वारा ही दी गई। इसमें समाज के अग्रणी आचार्यों का सहयोग प्राप्त हुआ।
बम्बई प्रांतिक सभा की स्थापना : लगभग 90 वर्ष पूर्व हुये सेठ माणकचन्द जी, मुम्बई निवासी ने 'मुम्बई दिगम्बर जैन प्रांतिक सभा' की स्थापना की व समाचार-पत्र 'जैनमित्र' का प्रकाशन आरम्भ किया।
दिगम्बर जैनपरिषद् की स्थापना : जैन बिम्ब-प्रतिष्ठा के अवसर पर दिल्ली में दिनांक 26 जनवरी, 1923 को श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा का अधिवेशन 'श्री खण्डेलवाल सभा' के मंडप में हो रहा था। श्रीमान् साहू जुगमुन्दर दास जी ने 'जैन गजट' के संपादक के लिये स्व. बाबू चम्पतरायजी का नाम पेश किया, इसका समर्थन बाबू निर्मलकुमार जी ने किया; किन्तु कुछ सज्जनों ने माननीय बैरिस्टर जी (जो महासभा के सभापति पद को सुशोभित कर चुके थे, और जिन्होंने अपने सभापतित्व में महासभा की श्लाघनीय सेवायें की थीं) को अयोग्य शब्द कहे जिनसे झलकता था कि वे बैरिस्टर जी को जैन-धर्म का अश्रद्धालु प्रमाणित कर रहे हैं। इस अयोग्य बर्ताव से अनेकों जनों का मन महासभा के अधिवेशन में सम्मिलित होने से उदास हो गया। इसी कारण वे लोग रात को महासभा की सबजैक्ट कमेटी में सम्मिलित न होकर सामाजिक उन्नति तथा धर्म-प्रचार के लिये अन्य संगठन का विचार करने में लग गये। इन सज्जनों की दूसरे दिन, 27 जनवरी, को सभा हुई।
दिल्ली में 27 जनवरी, 1923 को रायसाहब बाबू प्यारेलाल जी वकील के घर में एक साथ बैठकर सभा आमंत्रित कर निश्चित हुआ कि इस सभा के सभापति रायबहादुर ताजिरुलमुल्क सेठ माणिकचन्द जी, झालरापाटन सर्वसम्मति से निर्वाचित किया जाये। सेठ साहब ने सभापति का आसन ग्रहण किया। तत्पश्चात् निम्नलिखित प्रस्ताव सर्वसम्मति से निर्णित हुये - 1. दिगम्बर जैनधर्म के प्रचार और जैन-समाज की उन्नति के उद्देश्य से
'भारतवर्षीय दिगम्बर जैन-परिषद्' के नाम से संस्था स्थापित की जाये। 2. रायबहादुर ताजिरुलमुल्क सेठ माणिकचन्द जी इस परिषद् के सभापति
निर्वाचित किये जायें। श्रीयूत बैरिस्टर चम्पतरायजी मंत्री और रतनलाल जी बिजनौर और बाबू बजितप्रसाद जी वकील, लखनऊ सहमंत्री और श्रीयुत लाला देवीदास जी (सभापति स्थानीय जैन सभा लखनऊ) कोषाध्यक्ष नियुक्त किये जायें। इस परिषद् का एक पाक्षिक मुखपत्र 'वीर' हिन्दी में प्रकाशित किया जाये। सौ से अधिक महाशयों ने इस परिषद् का सदस्य होना स्वीकार किया और सूची पर हस्ताक्षर कर दिया, तब से यह संस्थान सुधार विचारधारा को लेकर प्रगति-पथ पर चल रही है।
भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ
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