Book Title: Ayurvediya Kosh Part 01
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj

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Page 740
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org लम् जौ वेदना, त्वचा का दर्द । डर्माटैल्जिया (Derm atalgia. )-इं०। अलम् जौ alam zou - अ० रश्मिशूल, प्रकाशमान् या चमकदार वस्तु के देखने का दर्द। फोटैल्जिया ( Photalgia ) - इं० । ६६८ अलम् नुखाअ alam-nukhaā अ० सुषुम्ना शूल, सौषुम्नस्थ वेदना | माइऐल्जिया ( Myalgia. )-gol अलम् फ़क़रात alam faqarata-o कशेरुका शूल, काशेरुकीय वेदना | स्पॉरिडऐल्जिया (spondialvia ) - इं० । अलम् बत्न alam-batna-ऋ० उदरशूल, पेट का दर्द । सेलिऐल्जिया ( Celialgia.) -- इं० । अलम् बल्ऊ.म alam-balāúma-अ०_कंठ | शूल, हुलक का दर्द। फेरिंगऐल्जिया ( Pha ryngalgia ) - इं० । अलम्ब मुष्ककः alamba mushkakah सं० પુ ० मुष्कक वृक्ष | मोपा - हिं० । घण्टापारुल - बं० । ( Schrebera swietenioi• des.) अलम्बा alamba - सं० स्त्री० तिकालाबु, स्थावर विषान्तर्गत पत्रत्रिष तितलौकी । तित्लाङ- बं० । सु० कल्प० २ ० | देखो - पत्रविषम् | अलम्बुजा alambujá सं० स्त्री० गोरक्ष मुण्डी, गोरख मुण्डी । ( Spheranthus Indicus, Linn. ) वै० नि० । अलम्बुदम् alambudam-सं० क्ली० बालक, हीवेर ( Pavonia odorata. ) | बाला - बं० । वै० निघ० क्षय० चि० शिवगुटी० । अलम्बुष: alambushah - सं० पु० ( १ ) वान्ति रोग, चमन, उलटी, छर्दि नै । ( Vom iting. ) मे० षचतुष्क । ( २ ) भूकदम्ब । कुकशिया गाछ - बं० । र० मा० । रत्ना० । अलम्बुषा,-सा alambushá, sá सं० स्त्री० ( १ ) लज्जालुका भेद । ( A sort of sensitive plant. )। फुल शोला - बं० । लज्जावती, छुईमुई, लजाल ू पौधा F । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अलम्बुषाद्यचूर्ण... पर्याय - खरत्वक्, मेदः, गला | गुण- मधुर, लघु, कृमि तथा फफ पित्त नाश करने वाली है । भा० पू० १ भा० गु० व० । अलम्बुषा स्वरस को २ पल की मात्रा में पीने से अपची, गण्डमाला तथा कामला नष्ट होता है । ( २ ) भूकदम्ब । कुकशिमे --बं० | See-bhūkadamba. (३) महा श्रावणी, गोरक्षमुण्डी । गोरखमुण्डी, मुण्डी । बड़ धुलकुड़ि -o | (Spheranthus Indica ) रा० नि० ०५ । व० निघ०२ भा० वा० व्या० पड़शीति- गुग्गुल और त्र्यूषणादि लौह । ( ४ ) लौह मल, मण्डूर । ( Ferri peroxidum.) च० द० १ भा० श्रामवात अलदिचूर्ण | श्रलम्बुषादिचूर्णम् alambushádi-churna m-सं० क्ली० हड़ १ भा०, बहेड़ा २ भा०, श्रामला ३ भा०, गोरखमुण्डी १ भा०, वरुणमूले १ भा०, गिलोय १ भा०, सोंठ १ भा०, इनको लेकर चूर्ण करें । गुण- श्रामचातको दूरं करता है I मात्रा १ कर्ष ( २ तो० ) । भो० म० ख० श्रा० वा० चि० । श्रलम्बुषाद्यचूर्णम् alambushádyachúrnam--सं०ली०(१)अलम्बुषा ( पानीका लजालू) १ भाग, गोखरू २ भाग, त्रिफला ३ भाग, सोंठ ४ भाग, गिलोय ५ भाग, निसोथ सर्व तुल्य: ग्रहण कर उत्तम चूर्ण प्रस्तुत करें । मात्रा -४ -१० मा० । अनुपान दही का पानी, तक्र, मद्य, काँज़ी, उष्ण जल । गुण-श्रमवात, पित्त, त्रिकवेदना, जानुगत वात, उरुगत वात, सन्धिवात, ज्वर, श्ररोचक इसके सेवन से दूर होते हैं । व० से० सं० श्रमवा० चि० । For Private and Personal Use Only * (२) श्रलम्बुषा, गोखरू, गिलोय, विधारा, पीपल, निसोथ, नागरमोथा, बरना की छाल, पुनर्नवा, त्रिफला, सोंठ तुल्य भाग। इनका चूर्ण कर सेवन करने से उन व्याधियाँ दूर होती हैं ।

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