Book Title: Ayurvediya Kosh Part 01
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj

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Page 845
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८OF प्रसारून सफर अलितकम् काम शनि का उद्दीपन कर्ता है । मधुवारि (मा- प्रसास asāsa-अ० बुनियाद, जड़, नीवं उ० । उल, अस्ज) के साथ एक मिस्काल (॥ मा०) की फाउण्डेशन ( Foundation )-इं० । मात्रा में रेचक है । इसके तेलके सैं घनेसे विस्मृति असास aasasa-अ० भेड़िया । ( A wolf.) रोग नष्ट होता है। इसका अञ्जन कर्निया की | असोसनू asāsani-कहज । (Straw-berry) बीमारियों को, इसका प्रवचूर्ण न वृश्चिक दंश __-इं० । (Fagaria-Indica. ले। इं० हैं। को पोर वक्षण एवं पेड़ पर इसका प्रलेप गा० । कामशति के बढ़ाने में परीक्षित है । बु० मु०। | असि asi-हिं० संज्ञा स्त्री० [सं० ] खंग, तनअजारून अफर asaruna-asfara-सिरि० वार, खाँडा, कटार । (A sword, a scimi. पास बरी, जंगली हब्बुल पास का वृक्ष । tar.) अलारून कैण्डेन्सो asalun candensi-ले असि asi-बर० (ए० व०), असिमियापा-या रीशए-वाला-फा० । असारून-सिरि० । संयुक्राक्षरों में ( ज़ि, "ब० व०" जिमियात्रा) असारून युरोपिअम् asarun europeum | गुठलो, अस्थि । ( Nut, stone.) स. -ले० असारुन, तगर भेद । अलारूने हिन्दो asārune hindi.फा. तगर | असिकम् asikam- क्लो.. असिक asika-हिं० संज्ञा पु (पादिका )म् । सुम्बुल जिब्ली-१०। (Va. चिबुक और चिबुक और leriane wallichii, D.C.) श्रोष्ठ का मध्यभाग । होंठ और छुट्टी के बीच का भाग | हे०च०। प्रसारूम युरोपिअम् asarum europeum, .inm-ले० तुकिर-हिं० । असारून-१० । अलिक्निः asiknih-सं० (1) गहरे कृष्ण रंग मेमो०। की गाय । (२) पृथ्वी । अथर्व० सू० १३० । २। का०२०। असालस asalasa -यू० फासरा-०शिवलिङ्गी असिक्निका,-क्नी asiknikā,-kni-सं० -foi ( Bryonia laciniosa. ) स्रो० अवृद्धान्तः पुर पेषी, अन्तःपुर में रहनेअसाला asala-हिं० संज्ञा स्त्री० [सं० अशा. वाली वह दासी जो वृद्धा न हो । मे० नत्रिक । लिका ] हाले, चंसुर । दासी । जटा। असालिया asaliya-गु०, बम्ब० असिगण्डः asigandah-सं० पु. सुद्रोपाधान । असालियो asaliyo-गु० जटा०। चन्द्रसूर। ( Lepedium sativum.) असितः asitah-सं० पु० । असालीज aasalija--अ० बारीक शाखाएं" या असित asita-हिं० संशा (1) धववृक्ष, बेलें जो वृक्षों पर लिपटती हैं। धातकी । धाोया गाछ-बं०। (Woodfo rdia floribunda.) र. मा. रत्ना०। असालू asalun-जयपु० चन्द्रसूर । ( Lepi -क्री० (२) काष्ठ अगुरु । (A kind dium sativum.) of Agar. ) वै० निघः । (३) असाल्यू asalyān-जय० चन्द्रसूर । (Lepedi पिंगला नाम की नाड़ी। (४) कालसर्प । um sativum. अथर्ष० । सू० ४ । १३ । का. १०। (५) असावरी asavari-हिं० संज्ञा स्त्री० कबूतर, कपोत - एक प्रकार का सर्प । अथर्व । सू० १३।५। (A kind of pigeon.) । (२) तूल का०५।-त्रि, (हि०वि०)जो सफ़ेद न हो। (रूई ) वन भेद । ( A kind of cotton कृष्ण वर्ण । काला । ( Black. ) cloth.) असितकम् asitakam-सं० जी० काष्ठागुरु । For Private and Personal Use Only

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