Book Title: Ayurvediya Kosh Part 01
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
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अरमरी
भश्मन्
अश्मन् ashman-सं० पु. प्रस्तर, पत्थर, पा. रत्ना० । देखो-कवाटच(व)कम् । (Kav. षाण । (A stone.)
__ātacha, va,-kram.) अश्मन्तः,--क: ashman tah,-kah-सं० पु. अश्मभेदः, कः ashmabhedah, kah- ) पाषाण भेद, पाथर चूर । ( Coleus arom- |
सं० पु. ४ aticus.) च० सू० १ ० । कोविदार वृत्त । अश्मभेद ashmabheda-हिं. संज्ञा पुं० । सत्शअम्न-पत्रीय अम्लोट. चांगेरी (A spe क्षुप विशेष | Coleus amboinicus, cies of ebony.)। भा० म०४भा० गर्भ Syn., (Coleus aromaticus. )। -चि० । “भश्मन्तकस्तिनाः कृष्णाः" | च० स० पाखानभेद नाम की जड़ी जो मूत्रकृच्छ, आदि ४४०। (३) उद्दालक वृक्ष, बहुवार-सं०। रोगों में दी जाती है। पाथरचुर-हिं० । पाथर बहुमार, सोरा-हिं० ।(Cordia latifolia) कचा, हिमसागर, हाता जो-ब।सु० सू०३८, भा० पू० १ मा०। (४) कोविदार वृद्ध, कच. ३६ ० । पर्याय-अश्मभेदः अश्मभित् (र०), मार भेद । ( Bauhinia veriegata.) । अश्मघ्नः, पाषाणभेदः, शिनाभेदः, अश्मभेदकः, भः० पू० २ भा०। (५) चुक, चांगेरी (Ru- श्वेता, उपलभेदी, उपलभित् शिलागर्भज, नग
mex vesicarium.) र०मा०।(१) भित्, संशोधनः । वा० स० १५, ३६ अ० । सुण विशेष । अम्बकुचाई-ब। (A sort) "वडन्तरारंणिक वृक वृध्याऽश्मभेदः ।" -- of grass.) सु० चि० ५५ म० । (.) ,
गुण-शीतल,..कौला, .... वस्तिशोधक स्वनामास्यात वृत। मापटा-तृष्य । भाबुटा-हिं।।
___ दस्तावर तथा तिक है ओर प्रमेह, अर्श, मूत्रकृच्छ, अश्मर-मह० । पर्याय-इन्दुकः, कुवाली,
तथा अश्मरी रोग नाशक है। मद० व०१। अम्नपत्रः, श्वा स्वक्, नीलपत्रः, यमनपत्रकः ।
.मधुर तिक, प्रमेह, प्यास, दाह, मूत्रकृच्छ, तथा गुणु-मधुर, कसेला, शीतल, तिनाक. और
अश्मरीहर और शीतल है। रा.नि. व. ५। भूत निवारण करनेवाला है । रा० नि० व.
अश्मभेदनः ashima-bhedanah-सं० पु. पा.
- पाण भेद । मद० । भश्मन्त(क)म् ashmanta,-ka-m-सं० क्ली. अश्मयोनिः,-नी ashma-yonih.ni-सं००,
(१) पाका अग्नि स्थान, चुलि(ली), चूल्ही । खो० () नील मणि | A gem of a मे० नत्रिक० । (२) दीपाधारच्छादन, प्रांधा- blue colour ( The sapphire. ) रिया । मे० ... . ..
प्र०टी०। (२) प्रश्मन्तक वृक्ष । प्रापटा-ब.। अश्मपुष्पम् ashma-pushpam-सं० क्ली० | मद० २०१० | See-ashmantaka.
शैलज, शिलारस। ( Styrax prepar-अश्मर ashmar-हिं) वि० [सं०] पध. atus.) अम०।
रीला | । ...
. ..
. प्रश्मभाण्डम् ashma-bhāndam-स. क्ली.
अश्मरी ash nari--सं. (हि. संज्ञा) स्त्री. (.) लौह भाण्ड विशेष, हावन । हामामदिस्ता
. मूत्र रोग विशेष । पथरी । कैलक्युलस Calcul-बं । श. च०। (२) खत, खल्ल | Mor- us (ए० व०), कैलक्युलाई Calculi tar.)
(ब०व०-ले । स्टोन Stone, ग्रेवल Gr.
avel--ई। इसात अ० । संगरेजह-फा० । अश्मभित् ashmabhit-सं० पु०(१) पाषाण
मिने, पाथुरी-ब। मुतखदा-मह। भेड़, पाथरपुर । (. Coleus aroma- .... परमरी संस्कृत अश्मन् शब्द से व्युत्पन्न स्त्री ticus.) प. मु. । रत्ना०। (२.) कवाठ
वाचक पद है । यहाँ पर इसका अंपार्थक प्रयोग वक्र वृक्ष-सं० । कराड़िया, कवाट वेटु-ते।
हुआ है अर्थात् पथरी वा ककड़ीके अर्थमें । आयुर्वेद वेण्टुना-हिं० । र० मा० । कवाटचक्र । के मतसे उस पथरीको कहते हैं जो परि
.
tar.
.
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