Book Title: Astavakra Gita
Author(s): Raibahaddur Babu Jalimsinh
Publisher: Tejkumar Press

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ निवास करके मेरे चित्त के संदेहों को दूर करके मुझमें भी आत्म-दृष्टि को उत्पन्न कीजिए।" तदनुसार ऋपिजी ने राजा की प्रार्थना को स्वीकार किया और राजा के साथ आये। उसके बाद राजा ने अपने घर में एक उत्तम स्थान निश्चित करके एक सिहासन लगाकर बड़े रात्कार से उसके ऊपर ऋपिजी को बैठाया और राजा अपने चित्त के संदेहों को पूछने लगा और अष्टावक्रजा उनका उत्तर देने लगे-इन प्रश्नोत्तरों के द्वारा अज्ञान का निगमरण और ज्ञान का उदय हुआ। वही ज्ञान इस पुस्तक में मुमुक्षुओं के लाभार्थ प्रकाशित किया जाता है। -प्रकाशक

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 405