Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
Publisher: 

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुआ इदानीभगवतःसामर्थ्यकथनपूर्वकमुपालंकरोति त्रिभुवनपालनदीक्षितेति त्रिभुवनपालन दाक्षितजगपालनसमर्थहेश्रीरामतवपालनविषयिणीयाशक्तिसापीयमक्षताऽव्ययापूर्णेत्यर्थः हिप्रमोत्वंसमर्थः पालनेतवशक्तिरपिपरिपूणेत्येवंसत्यपिसामान्यमिवविशेषयथासामान्यपरि हत्यविशेषागृयतेनहन्मांपरिहत्यकिंसर्वतःस्फुरति तवशक्तिर्यथासामान्यविशेषशास्त्रयोपान विभुवनपालनदीक्षितरक्षणशक्तिस्तवाक्षतापीयम्॥ सामान्यमिवविशेषंकिंमांपरिहत्यसर्वतःस्फुरति॥॥ मौसामान्यविहायविशेषशास्त्रमेवगृह्यते नहिंस्यात्सर्वभूतानीतिसामान्यशास्त्रंबाधित्वामा || योमीयपक्षमालभेततिविशेषशास्त्रमंगाकियते तहन्माविहायसर्वतस्फुरतिमांत्यत्कासर्वपालनं 4 करोति यहासामान्यमिवविशेषं विशेषमित्याकाशमुच्यते विशेषमेकमाकाशंपरिहत्यबहुत्वेगवादि|| For Private And Personal Use Only

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