Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
Publisher: 

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Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मु-आ || मार्षयाउत्कर्षासहनेनविषादेनममकिंकिमपिप्रयोजननास्ति॥४७॥इदानीमनसिस्थितयावता || सरी वदुक्तंसाध्वसाधुवातत्सर्वक्षतव्यमित्याशयेनाह वक्तव्यमिति हेश्रीरामयन्मममनसिस्थितंतवाग्र तोत्वत्समीपेउक्तमेवंसत्यपिययद्याप्य धुनापिरुष्टःसक्रोधस्तहिनन्निनिवितर्केतवपादयोश्चरणका वक्तव्यमेतदुक्तंतवाग्रतारामयच्चयावच्च॥ यद्य द्याप्यसिरुष्टस्तन्ननुपतितोस्मिपादयोरुपरि॥४॥ मलयोउपरिपतिनोस्मिसाशंगनतोस्मि पादयोःशरणागतत्वेननमस्कारकिययासर्वेपराधाःक्षनव्याइतिभावः॥६॥ इदानींसतांस्वभावएवैषयिषणामेकअपराधिन्यपिप्रसन्नतेसाशयेनाह 10 प्रणिपातमात्रनारादिति हेरामचंद्रप्रणिपातमात्रनारायणिपातएवप्रणिपाचमानंतदेवनारतेन For Private And Personal Use Only

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