Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
Publisher: 

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Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मु-आ मतएवशष्यत्कउंसशोषगलंनिराश्रयंरक्षितरहितमत्तएवदानमेवंभूतंमांकरुणाकटाक्षरक्षन्छायां / सटी. छायेवछायातामच्छामतिस्पच्छांशीतलामित्यर्थःविधायकत्वामांगाहिरक्ष॥६९॥ पुनरपिप्रकार तरेणार्थयति तृष्णाकल्लोले ति तृष्णैवकल्लोलवत्तीमहानदीतस्याविशालामहांतायेकल्लालाः तृष्णानिदाघतशय्यत्कंठनिराश्रयंदानकरुणाकटाक्षच्छायाम च्छांविधायमांपाहि॥६९॥ तृष्णाकल्लोलवत्तीविशालकल्लोलसंकुली. भूतम्॥ करुणापांगनिरीक्षितगुणजालैम्कर्षमाप्रकर्षण॥७॥ 5 महातरंगा संकुलीभूतमेवंभूतंमांरामभद्रस्वकीयकरुणापांगनिरीक्षितगुणजाले:करुणानिरी|| || 26 क्षितमेवगुणजालानिरज्जुसमूहास्तैःप्रकर्षणबलेनमांकर्षाकर्षयेत्यर्थः॥७॥ 7 // For Private And Personal Use Only

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