Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुआ| || पुनरपिजननीरूपत्वेनस्तातिकमलायमाननेत्रामिति कमलायमाननेत्रापकजसदृशनेबाममलायत्तदा | हुसंगिकोदंडानिर्मलदीर्घबाहुसक्तकार्मुकांशमलावण्यधरित्रींशांतिसलावण्यधरामेतारशीपुवेष धारिणीपुरुषवेषधरांजननांमातरंवदेनमस्करोमि।।९५॥पुनरपिषकारांतरणस्तौति पत्तिारति पण कमलायमाननेवाममलायतबासंगिकोदंडशिमलावण्यधारवीजन नीवेषधारिणींवंदे॥९५॥ पत्तिशरधनुराव्यासंपत्तिोगयोगिना माड्या।।स्फुरतिक्षपितविपत्तिाकाचनवित्तिर्ममानिशचित्ते॥९॥ निःपादचारिणीशरधनुराव्याबाणकार्मुकयुक्तासंपत्तिपूर्णतायोगयोगिनांचित्तत्तिनिरोधंयोगं मुजतितयोगयोगिनातेषांसमाधिभाजामित्यर्थः योगिनस्तंपपश्यतिभगवंतंसनातनमितिस्मृतः ईड्या | स्तवनाक्षिपितविपत्तिाशितदैन्यावित्तिर्नामावस्थाकाचनापूर्वाममचित्तेऽनिशॉनिरंतरंस्फरनिप्रकाशन // 16 // For Private And Personal Use Only

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