Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
Publisher:
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मु-आ पुरोधागिनोभावापौरोभाग्यपरदोषेकदर्शित्वमितियावत् उत्तमैःश्लोक्यतेस्तूयते सतथायहाउद्गगी सरी. नमोअज्ञानंयस्मात्सउन्तमाअज्ञाननिवर्तकःश्लोक-कीर्तिर्यस्यतथा पयेयशसिचश्लोकइत्यमरः॥ संतप्तइतिहेतुपंचम्यंत्तंसंतप्त चित्तहेतुकं पोरोभाग्यमिनिमाकल्पयेत्यन्वयःपुरजोभावपोरोभाग्यं जप्लनिकल्पयमोचेपोरोभाग्यमयिक्षमासिंधो॥संतप्त चित्तभावाहुरुक्तमुख्यदुत्तमश्लोक॥४५॥ // श्रेष्ठत्वव्यंजकंनिंदकत्वंमाकल्पयहेक्षमासिंधीतहित्वंकुन एवंजल्पसातित्वयानवाच्यामित्याशयेनाह संतप्तचित्तइति हेरामसंतप्तचित्तभावा(स्वित्तचित्तावादुवितचित्तत्वाद्यदुक्तंतन्दुरुक्तमसाधूक्तं यसंतप्तचित्तोभयतिसतुसाध्वसाधुवदन्येवेतिभावः॥४५॥ // 5 // For Private And Personal Use Only

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