Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
Publisher: 

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Page 38
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महतासाधूनांकोपाशशक्षणिकोधाग्निशाम्पत्यपशमंयाति भोराघवममतुरितविपाकै पापप रिपाकैत्वनायापिइदानीमपिमुक्तकोपोनभवसीत्यर्थः॥४९॥ इदानींसर्वथात्वयाऽहमनुयायएचे स्याह त्वचल्यइति त्वचल्योनास्तिविभुत्वत्सदृशःविभुःस्वामीनास्तित्रिभुवनत्रयेपि मत्तुल्यः प्रणिपातमात्रनीराच्छाम्यतिकोपाशशक्षणिमहत्तां॥ममरितस्यपि पाकैराघवनायापिमुक्तकोपोऽसि॥४९॥ त्वत्तुल्योनास्तिविक्षुमन्तुल्योना स्तिचापरोदीनः॥दीनानाथस्वामिनकरुणासिंयोजुवेहमन्यक्किम्॥५०॥ मत्सरशनोपिनास्ति हेरीनानाथानांस्वामिन्नेकबंधोव्यसनासालककरुणासिंधोदयासागर अहमन्यतिंब्रुवेमयाअन्यत्किंवक्तव्यमित्यर्थः॥५०॥ // 2 // For Private And Personal Use Only

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