Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
Publisher: 

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्यत्तात्याशयेनेत्यर्थः लोकेपिपुत्रस्यपितुःशपथव्यवहार प्रसिद्धः॥१०॥ इदानींसत्मिकत्वान्द यालुत्वाच्चममक्केशान्दृष्ट्वादयाऽवश्यंकर्तव्यनिषार्थयति मामिति हेश्रीरामेहास्मिन्संसारेमांसपण मनाथंदरिद्रमनन्यस्थापितंक्लेशैप्ति क्लेशास्तयोगशास्त्रोक्ताअविद्याअस्मितारागद्देषाभिनिवेशाः पंचतेप्तिचितं रमेशरमापते कयंभूतक्लेशैःनिःशेषेसमग्रेकिंभूतंमालोल जपदमस्तकंसाशंगंप मामिहरूपणमनाथक्केशाप्रमेशनिःशेषैः॥लोल गुजपदमस्तकमवलोक्यकथंस्थितोसितूष्णीत्वं // 1 // णमंतमित्यर्थः एतादृशंमामवलोक्यकथस्थित्तोसितूष्णीं दयानिधेरिदंतवमोचितमितिभावःmml ननुमयिदयालुत्वंकुताआगतमित्याशंक्याह करुणाकरइति हेरामकरुणाकरइत्याद्याविरुदमाला लक्षणमाला:लक्षणसमूहाः दीनदयाकरइनिराणप्रसिहास्तासःरथैःरथादिवाहनैपियांति For Private And Personal Use Only

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