Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
Publisher:
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुआ स. ताक्षसत्वयितन्नयोग्यंकुतन्यतालसमपिसेवांक मयोग्यमपिसेवकसतंपृथ्वीशामहाराजानम्ता दशमपिपरिपालयतिरक्षतिभोराघवलंतुत्रिभुवनेशोसित्वयात्ववश्यमेवाहपालनीयइतिभावः॥१५॥ हिरामचंद्र मत्यूर्वजैखोदरपूरणार्थमेवनाराधित्तास्यपितुसंततिरक्षणार्थमपीत्याह नहीति नहिनि सेवकवंशभवत्वादपेक्षसेचेन्मयाहत्तसेवां॥अलसंसेवकसतमपिराधवपरि पालयंतिपृथ्वीशाः॥१५॥नहिनिजजाठरवन्हर्जयायमपूर्वजार्जितोसित्वं किं त्वज्ञालससंततिसंतनपाडापरंपराशांत्यै।।१६॥ जजाउरवन्हेर्जयायमपूर्वजार्जि तासित्वंनिजस्वकीयोजाठरवन्हिवैश्वानरस्त्तस्यजयायान्नपानादिनातृप्त्यर्थमपूर्वजैर्ममपित्रादिभिनों, पार्जितोसिनाराधिनोसिकित्वज्ञालससंततिसंततपाडापरंपराशांत्यै अज्ञाऽलसाचयासंततिपरंपरात स्यान्यासंततंनिरंतरंपीडा शनवसनादिकृताधिस्तस्याःशांत्यैतन्निवारणार्थमित्यर्थः॥१६॥ 7 For Private And Personal Use Only

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