Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
Publisher: 

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ननुदयालवापिप्रभवोन्यव्यासंगासक्तायन्यवचनानिनाकर्णयंतीन्याशंक्याह किमिति हैजा नकीजानजानकीजायायस्यसजानकीजानिः जायायानित्रणनि-किंवातद्गुरुकार्ययध्यासंगेनयबासक्तत्वेनमेममदीनानिवचनानिप्रकटस्फुरंतवकर्णपथेनायांतिनमाप्नुवंतिमह किंवातगुरुकार्ययय्यासंगेनजानकीजानादीनानिमेव चांसिप्रकटनायांनिकर्णमार्गते॥२३॥ कार्यव्यासंगेनममभाषांनशृणापीत्यर्थः // 23 // इदानींयुद्धादिनाथांतलेननशृणोषीत्याशयेनाह प्रायइति हेरामप्रायोबहुधैवलक्ष्यते राक्षसयुद्धेअंत्यंतंत्रांतत्वाछेषेअनंतपयंकेसयथास्यात्तथाशेषनिद्रितोसि ननुनिद्रितोसीतिकिमित्यारोप्यते अनआह यत्तीयस्मात्का For Private And Personal Use Only

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