Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
Publisher: 

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुआ- स्तूरिकालवालसमुत्पन्नम्पलांडुन्दुगंधकंदविशेषनकायंरोपंदौगंध्यलक्षणंनजहानीत्यर्थः हेदै स |वेशरामभद्रतवदासोप्यहंजातुकदाचिदपिस्वकीयंदोषंनत्यजामिजातिस्वभावाहित्यर्थः॥३३॥इण नाअत्यंतंपापिष्ठश्चेत्तहिप्रायश्रित्तादिनातरशहि भविष्यतीतितदपिनसंभवतीत्याह सरुतिन मृगमदतमीजनिनोजहातिदोषंनिजंपलांडुकिंतहतवदासोहंत्यजा मिदोषनजातुदेवेश॥३३||सहतिनईषसापपायश्चित्तरघूत्तमोतं॥ अपयातिमामुदीक्ष्यप्रायस्तदपाहगोरिवव्याघ्रम्॥३४॥ 5 // इति सरुनिनाबहुपुण्यवतःपुरुषस्पषत्पापसमुसन्नेनसरिहाराथेराघवपायश्रितंपोक्तचिहिवंशान णेत्यर्थः हेरघूत्तमतदपिपायश्रित्तमपिमामु राक्ष्यावलोक्यापयातिदूनःप्रयानिशरिकार्यनक- 3 रोत्तिमदीयपापस्यमहत्त्वादित्यर्थः व्याघ्रदृष्ट्वागौरिवगीर्यथादूरंपलायनतइदित्यर्थः॥३४॥५॥ For Private And Personal Use Only

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