Book Title: Arya Shatak Author(s): Mudgalacharya Publisher: View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मु- आसापेक्षेसंबोधनं लक्ष्मीपतिवादेवीदार्यशक्तिगुणयुक्तत्वयिनरुपणकथासंभवतिभावः॥४॥ इदानीलौकिकदृष्टांतेनोपालंभयन्मार्थयति अपिरंकमिति रकंदरिद्रपितरमंकनिष्ठः उत्संगार न्हयारकइत्यमरः अर्भकाकिंचिनियंपार्थयमानास्लेटंपार्थितंतादृशादपिलभते इदंतुचित्रंगह अपिरंकमंकनिष्ठ प्रार्थयमानोभकोलभेतेष्टं। कष्टंबतजगदुद्भवावदं कगतोलभेनतद्भवतः॥५॥आशापाशनिबडंकारागारेकलेवरेनिहि तं॥यदिमोचयसिनमांवंकुरुतर्हिस्वान्मनैवमेत्तिम्॥६॥ // नं कष्टंतुरुगहनेइत्यमरः यज्जगदुईवहेजगदुत्पत्तिकारण भवदंकगतोप्यहंममष्टंभवलातिलक्षणंभवतानलभेतन्महदाश्चर्यमित्यर्थः॥५॥इदानीनियम्यनियामकभावनप्रार्थनांकरो- ति आशापाशनिबदमिति आशैवपाशआशापाशस्तननिबन्डंबडंकारागारकलेचरेनिहितं कारा|| 3 For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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