Book Title: Arhat Vachan 2000 07
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 23
________________ सारणी क्र.-3 जैन आयुर्वेदाचार्य और उनका परिचय (सूचीबद्ध) 17 वीं शताब्दी तक आचार्य का नाम ग्रंथ का नाम ग्रंथ समय ग्रंथ भाषा विषय - प्रकाशक / सूचना स्रोत अर्हत् वचन, जुलाई 2000 उपलब्ध / अनुपलब्ध प्रकाशित /अ.प्र. आचार्य पादलिप्तसूरि प्राकृत प्राकत अनुपलब्ध अप्रकाशित रसचिकित्सा 2. आचार्य सिद्धनागार्जुन ज्यातिषकरण्डक टीका, कालज्ञान 94 से 162 ई. ज्योतिषकरण्डक टीका, कालज्ञान 94 से 162 ई. निर्वाण कालिका, प्रश्नव्याकरण लगभग सिद्धपाहुड नागार्जुन कक्ष, नागार्जुन कल्प, दूसरी-तीसरी आश्चर्ययोग रत्नमाला, श. लगभग कक्षपुरम्, रसचिकित्सा अष्टांग आयुर्वेद, 373 से 473 ई. सिद्धरसायनकल्प, पुष्पायुर्वेद लगभग प्राकृत मिश्रित अपभ्रंश प्राकृत वीर शासन के प्रभावक आचार्य, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, 1975, पृ. 22-23 मुनि कांतिसागर, खण्डहरों का वैभव, काशी, 1959, पृ. 299, कल्याण - कारक, सम्पादकीय, पृ. 39 कल्याणकारक पृ. 37-40 दक्षिण भारत में जैन धर्म, पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, पृ. 142 3. समन्तभद्र आयुर्वेद के आठ अंग व वनस्पति संबंधी अगधतंत्र व भूतविद्या शालाक्य तंत्र 4. सिद्धसेन विषतन्त्र, भूतविद्या 4-5 लगभग वीं श. कल्याणकारक 20/85 5. पूज्यपाद कन्नड़, उपलब्ध विद्याविनोद, पूज्यपादवैद्यक, वैद्यकशास्त्र, रस तंत्र, वैद्यकसार संग्रह, कल्याणकारक, वैद्यामृत, निदानयुक्तावली 485 से 522 ई. लगभग संस्कृत राजकीय हस्तप्रति ग्रंथागार मद्रास केटलॉग खण्ड xxil पृ. 858, निदानयुक्तावली की 6 पत्रों की हस्तप्रति मद्रास राज. पुस्तकालय में विरचित स्वयं लेखिका के पास छाया प्रति। 6. पात्रकेसरी शल्यतंत्र विषयक 705 से 762 ई. लगभग संस्कृत अनुपलब्ध कल्याणकारक श्लोक 85, पृ. 20 •शल्य तंत्र/ शालाक्य तंत्र 7. 8. 8 वी श. मेघनाथ सिंहनाद बालवैद्य (कौमार भृत्य विषयक) वाजीकरण कौमार भृत्य वाजीकरण व रसायन शास्त्र चिकित्सा विषयक M 9. गोम्मटदेव मुनि मेरूतंत्र कल्याणकारक प्रस्तावना पृ. 38

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