Book Title: Apbhramsa Vyakaran evam Chand Alankar Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ करेवउ = कर+एवउ (किया जाना चाहिए) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (ख) ए, ओ से पहले अ, आ का लोप हो जाता है। पाठ 3-पउमचरिउ गयणङ्गणे = गयण+अङ्गणे (आकाश के आँगन में) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। पाविट्ठहो = पावि+इट्ठहो (अत्यन्त पापी का) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। धम्मिट्टहो = धम्म+इट्ठहो (अत्यन्त धार्मिक का) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। . वणन्तरे = वण+अन्तरे (जंगल के अन्दर) नियम 4-लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व ... स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। धूमावलि = धूम+आवलि (धूम की शृंखला) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। पवणाकम्पिय = पवण+आकम्पिय (पवन से हिले-डुले) . नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। भयाउर = भय+आउर (भय से आतुर) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। पाठ 4-पउमचरिउ जिओऽसि = जिओ+असि (जीते गए हो) - नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (ग) () पूर्व पद के पश्चात् अ का .. लोप दिखाने के लिए एक अवग्रह चिह्न (s) लिखा जाता है। अपभ्रंश-व्याकरण एवं छंद-अलंकार अभ्यास उत्तर पुस्तक __- 3 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72