Book Title: Apbhramsa Vyakaran evam Chand Alankar Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 45
________________ 13. कण्ह/कण्हा/कण्हु (2/1) सव्वओ बालअ/बालआ (1/2) अत्थि। नियम 7- सव्वओ (सब ओर) के साथ द्वितीया विभक्ति होती है। णयर/णयरा/णयरु (2/1) समया सरिआ/सरिअ (1/1) अत्थिा : नियम 7- समया (समीप) के साथ द्वितीया विभक्ति होती है। ... 15. तं (2/1) अन्तरेण/विणा हउँ (1/1) गच्छउं/गच्छमि/गच्छामि/ गच्छेमि। नियम 8 व 12- अन्तरेण व विणा के योग में द्वितीया विभक्ति होती णइ/णई (2/1) णयर/णयरा/णयरु (2/1) य अन्तरा वणं/वणा/ वणु (1/1) अत्थि। नियम 8- अन्तरा (बीच में, मध्य में) के योग में द्वितीया विभक्ति होती है। बालअ/बालआ/बालउ (2/1) पडि तुहुं (1/1) सनेह/सनेहा/सनेहु (2/1) करहि/करसि/करसे। नियम 9- पडि (की ओर, की तरफ) के योग में द्वितीया विभक्ति होती है। सो (1/1) बारह वरिस/वरिसा/वरिसइं/वरिसाइं (2/2) वसइ/ वसेइ/वसए। नियम 10- समयवाची शब्दों में द्वितीया विभक्ति होती है। हउं (1/1) कोस/कोसा/कोसु (2/1) चलउं/चलमि/चलामि/चलेमि। नियम 10- मार्गवाची शब्दों में द्वितीया विभक्ति होती है। णइ/णई (1/1) णयरहे/णयराहे/णयरहु/णयराहु (5/1) दूर/दूरा/दूरु (2/1) अत्थि। नियम 11- दूर (नपुंसकलिंग) शब्द द्वितीया विभक्ति में रखा जाता है। सायर/सायरा/सायरसु/सायरासु/सायरहो/सायराहो (6/1) अंतिय/ अंतिया/अंतियु (2/1) लंका/लंक अत्थि। नियम 11- अंतिय (नपुंसकलिंग) शब्द द्वितीया विभक्ति में रखा जाता है। सो (1/1) दुह/दुहा/दुहु (2/1) जीवइ/जीवेइ/जीवए। नियम 13- कभी-कभी संज्ञा शब्द की द्वितीया विभक्ति का एकवचन क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है। 21. 22. अपभ्रंश-व्याकरण एवं छंद-अलंकार अभ्यास उत्तर पुस्तक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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