Book Title: Apbhramsa Vyakaran evam Chand Alankar Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 31
________________ माणभंग (मान के भंग होने पर) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) विणिवासं ( राजा का घर ) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) वाणावलि (वाणों की पंक्ति) नियम 2मुणितंडउ ( मुनि समूह को) नियम 2 छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास ( षष्ठी तत्पुरुष समास ) छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) रणभोयणु (रणरूपी भोजन) नियम 2.1- कम्मधारय समास ( कर्मधारय समास ) करिरयणइं (हाथी रूपी रत्नों को) नियम 2.1 - कम्मधारय समास ( कर्मधारय समास ) गुरुकहिउ (गुरु के द्वारा कथित) नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास ) रहसाऊरियाइं (वेग से भरी हुई ) नियम 2 - तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास ) मच्छरभावभरिय (ईर्ष्याभाव से भरे हुए) नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास ) महुरक्खरेहिं (मधुर शब्दों से) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समासे) 20 पाठ 8 - महापुराण जयलच्छिगेह (विजयरूपी लक्ष्मी के घर ) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) रामाहिराम (स्त्रियों के लिए आकर्षक ) चउत्थी विभत्ति तप्पुरिस समास (चतुर्थी तत्पुरुष समास ) नियम 2महिमहिलहि (पृथ्वीरूपी महिला की ) नियम 2.1 - कम्मधारय समास ( कर्मधारय समास ) Jain Education International अपभ्रंश-व्याकरण एवं छंद - अलंकार अभ्यास उत्तर पुस्तक For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72