Book Title: Apbhramsa Vyakaran evam Chand Alankar Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 35
________________ णिद्धणचित्ते (निर्धन के चित्त से) - नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) सिद्धसमूह (सिद्धों का समूह) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) पावकलंकु (पाप का कलंक) | . नियम 2- छठ्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) कामुयचित्ते (कामुक चित्त से) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास). णायणाहु (सों का स्वामी) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) कामाउरे (काम से पीड़ित) __ नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास) विरहडाह (विरह का संताप) ___नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) जलपवाह (जल का प्रवाह) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) पहुपेसणे (स्वामी का प्रयोजन) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) पयसमासु (पदों में समास) नियम 2- सत्तमी विभत्ति तप्पुरिस समास (सप्तमी तत्पुरुष समास) धम्मोवएसु (धर्म का उपदेश) नियम 2- छठ्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) मइविसेसु (बुद्धि की श्रेष्ठता) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) चारित्तवित्तु (चारित्ररूपी धन को) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) 24 अपभ्रंश-व्याकरण एवं छंद-अलंकार अभ्यास उत्तर पुस्तक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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