Book Title: Apbhramsa Vyakaran evam Chand Alankar Abhyas Uttar Pustak
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 34
________________ वेसापमत्तु (वेश्या में मस्त हुआ) नियम 2- सत्तमी विभत्ति तप्पुरिस समास (सप्तमी तत्पुरुष समास) : पारद्धिरत्तु (शिकार का प्रेमी) नियम 2- छठ्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) गुरुमायबप्पु (गुरु, माँ और बाप) नियम 1- दंद समास (द्वन्द्व समास) णियभुयबलेण (निज भुजाओं के बल से) नियम 2- छठ्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) णिद्दभुक्खु (निद्रा और भूख को) नियम 1- दंद समास (द्वन्द्व समास) परयाररया (परस्त्री में अनुरक्त हुआ) नियम 2- सत्तमी विभत्ति तप्पुरिस समास (सप्तमी तत्पुरुष समास) सीलगुरुक्किय (कठोर शील धारण की हुई) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) हरि-हलि-चक्वट्टि-जिणमायउ (नारायण, बलदेव, चक्रवर्ती तथा तीर्थंकरों की - माताएँ) नियम 1- दंद समास (द्वन्द्व समास) सीलकमलसरहंसिउ (शीलरूपी कमल सरोवर की हंसिनी) - - नियम 2- छठ्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) फणिणरखयरामरहिं (नागों, मनुष्यों, आकाश में चलनेवाले (विद्याधरों) और देवों द्वारा) .. नियम 1- दंद समास (द्वन्द्व समास) छारपुंजु (राख का ढेर) . नियम 2- छठ्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) पंडियलोयविवेउ (ज्ञानी समुदाय का विवेक) नियम 2- छठ्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) दुट्ठसहाउ (दुष्ट स्वभाव) - नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) अपभ्रंश-व्याकरण एवं छंद-अलंकार अभ्यास उत्तर पुस्तक 23 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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