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(ग) (ठा+सु) = ठासु = (तुम) ठहरो। (वि.म.पु.एक.) (हो+सु) = होसु = (तुम) होवो। (वि.म.पु.एक.)
18.
(क)
(ख)
19.
(क)
मध्यम पुरुष बहुवचन 2/2
अपभ्रंश में अकारान्त, आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं के विधि एवं आज्ञा के मध्यम पुरुष बहुवचन में प्राकृत भाषा के अनुसार 'ह' प्रत्यय तथा शौरसेनी भाषा के अनुसार 'ध' प्रत्यय क्रियाओं में लगता है। 'ह' और 'ध' प्रत्यय लगने पर अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' भी हो जाता है। जैसे
( हस + ह) = हसह / हसेह = (तुम दोनों / तुम सब ) हँसो। (वि.म.पु. बहु.) (ठा+ह) : = ठाह = (तुम दोनों / तुम सब ) ठहरो । ( वि.म.पु. बहु . ) (हो+ह)
=
- होह = (तुम दोनों / तुम सब ) होवो । (वि.म.पु. बहु.)
( हस+ध) = हसध / हसेध = (तुम दोनों / तुम सब ) हँसो। (वि.म.पु.बहु.) (ठा+ध) = ठाध = (तुम दोनों/तुम सब) ठहरो। (वि.म.पु.बहु.) (हो+ध) = होध = (तुम दोनों/तुम सब) होवो। (वि.म.पु.बहु.)
अन्य पुरुष एकवचन 3 / 1
अपभ्रंश में अकारान्त, आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं के विधि एवं आज्ञा के अन्य पुरुष एकवचन में प्राकृत भाषा के अनुसार 'उ' प्रत्यय तथा शौरसेनी भाषा के अनुसार 'दु' प्रत्यय क्रियाओं में लगते हैं। ‘उ और दु' प्रत्यय लगने पर अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' भी हो जाता है। जैसे
( हस + उ ) = हसउ / हसेउ = (वह) हँसे। (वि.अ.पु.एक.)
(31+3)
= ठाउ = (वह) ठहरे। (वि.अ.पु. एक.)
( हो+उ) = होउ = ( वह) होवे। (वि.अ.पु.एक.)
अपभ्रंश - हिन्दी-व्याकरण
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