Book Title: Apbhramsa Hindi Vyakaran
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 106
________________ उकारान्त नपुंसकलिंग - महु ( मधु ) बहुवचन महु, "महू, महुई, *महूई एकवचन महुहू महु, महू महुएं, "महूएं, महुं, "महू महु, "महू, महुईं, "महूई महिं, "महूहिं FL महुण, “महूण, महुणं, "महूणं चतुर्थी महु, "महू महुहू व महुहु, "महूहुं महुहं, महूहं * महुहु, "महूहुं महुहे, "महूहे षष्ठी पंचमी सप्तमी सम्बोधन हे महु, हे. "महू महुहि, महूहि महुहिं, "महूहिं, महुहुं, "महं महु, हे "महू, हे महुहो, हे "महूहो प्रथमा द्वितीया तृतीया प्रथमा आकारान्त स्त्रीलिंग - कहा ( कथा ) बहुवचन कहा, "कह, कहाउ, "कहउ, कहाओ, कहओ एकवचन कहा, "कह द्वितीया कहा, "कह कहाए, कह तृतीया चतुर्थी कहा, "कह व कहा, "कह षष्ठी पंचमी कहा, "कह सप्तमी कहाहिं, "कहहिं सम्बोधन हे कहा, हे "कह Jain Education International अपभ्रंश - हिन्दी-व्याकरण कहा, "कहं, कहाउ, कहउ, कहाओ, ओ कहाहिं, "कहहिं कहा, "कह कहा, "कह कहाहु, क कहाहिं, "कहहिं हे कहा, हे "कह, हे कहाउ, हे "कहउ, कहाओ, हे ओ हे कहो, हे "कहो For Personal & Private Use Only (91) www.jainelibrary.org

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