Book Title: Apbhramsa Hindi Vyakaran
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 124
________________ प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी सप्तमी प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी . सप्तमी एकवचन ह . Ika. (मैं, मैंने) (मुझे, मुझको) मई ( मुझसे, मेरे द्वारा ) तीनों लिंगों में अम्ह (मैं) - महु, मज्झु (मेरे लिए, मेरा, मेरी, मेरे) महु, मज्झ (मुझ से ) मई (मुझमें, मुझ पर ) तीनों लिंगों में एकवचन तुहुं (तू, तूने) पई, त (तुझे, तुझको) पई, तई ( तुझसे, तेरे द्वारा ) Jain Education International तुझ ( तेरे लिए, तेरा, तेरी, तेरे) तउ, तुज्झ, तु ( तुझ से ) पत (तुझमें, तुझ पर ) अपभ्रंश - हिन्दी-व्याकरण - बहुवचन अम्हे, म्ह For Personal & Private Use Only (हम, हमने ) अम्हे, म्ह (हमें, हमको) अम्हे हिं (हमसे, हमारे द्वारा) अहं (हमारे लिए, हमारा, हमारी, हमारे) अम्हहं (हम से) तुम्ह (तुम) अम्हासु (हम में, हम पर) बहुवचन तुम्हे तुम्ह (तुम, तुमने ) तुम्हे तुम्ह (तुम्हें, तुमको ) तुम्हे हिं (तुझसे, तुम्हारे द्वारा) तुम्हहं (तुम्हारे लिए, तुम्हारा, तुम्हारी, तुम्हारे) तुम्हहं (तुम से) तुम्हासु (तुम में, तुम पर) (109) www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138