Book Title: Apbhramsa Hindi Vyakaran
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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एकवचन
प्रथमा कवणा, "कवण
( कौन, किसने)
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी
व षष्ठी
पंचमी
सप्तमी
(108)
स्त्रीलिंग कवणा (कौन, क्या,
-
कवणा,
*कवण
(किसे, किसको)
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कवणार, "कवण
(किससे, किसके द्वारा)
कवणा, "कवण
कवणाहे, "कवण
(किसके लिए)
(किसका, किसकी, किसके )
कवणाहे, "कवण
(किस से)
कवणाहिं, "कवणहिं
(किसमें, किस पर)
कौनसा )
बहुवचन
कवणा, "कवण, कवणाउ,
"कवणउ, कवणाओ,
कवणओ
(कौन, किन्होंने)
कवणा, "कवण, कवणाउ,
*कवणउ, कवणाओ,
"कवणओ
(किन्हें, किनको)
कवणाहिं, "कवणहिं
(किनसे, किनके द्वारा)
'कवणा,
"कवण
कवणाहु, "कवणहु
(किनके लिए)
(किनका, किनकी, किनके)
कवणाहु, "कवणहु
(किन से)
कवणाहिं, "कवणहिं
(किनमें, किन पर)
अपभ्रंश - हिन्दी
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-व्याकरण
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