Book Title: Apbhramsa Hindi Vyakaran
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 121
________________ प्रथमा द्वितीया पुल्लिंग - कवण (कौन, क्या, कौनसा) एकवचन बहुवचन कवण, “कवणा, कवणु, कवणो कवण, कवणा (कौन, किसने) (कौन, किन्होंने) कवण, 'कवणा, कवण कवण, 'कवणा (किसे, किसको) (किन्हें, किनको) कवणेण, कवणेणं, कवणे कवणहिं, 'कवणाहिं, (किससे, किसके द्वारा) कवणेहिं (किनसे, किनके द्वारा) तृतीया चतुर्थी कवण, "कवणा कवण, 'कवणा कवणसु, "कवणासु, कवणहं, 'कवणाहं षष्ठी (किनके लिए) (किनका, किनकी, किनके) कवणहो, 'कवणाहो, कवणस्सु (किसके लिए) (किसका, किसकी, किसके) कवणहां, 'कवणाहां (किस से) कवणहिं, 'कवणाहिं (किसमें, किस पर) कवणहुं, 'कवणाहुं (किन से) कवणहिं, 'कवणाहिं (किनमें, किन पर) सममी (106) अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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