Book Title: Apbhramsa Hindi Vyakaran
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 122
________________ नपुंसकलिंग - कवण (कौन, क्या, कौनसा) एकवचन बहुवचन प्रथमा कवण, 'कवणा, कवणु कवण, "कवणा, (कौन, किसने) कवणई, 'कवणाई (कौन, किन्होंने) द्वितीया कवण, 'कवणा, कवणु कवण, 'कवणा, (किसे, किसको) कवणई, "कवणाई (किन्हें, किनको) तृतीया कवणेण, कवणेणं, कवणे कवणहिं, 'कवणाहिं, (किससे, किसके द्वारा) कवणेहिं (किनसे, किनके द्वारा) चतुर्थी कवण, 'कवणा कवण, कवणा कवणसु, कवणासु, कवणहं, कवणाहं कवणहो; 'कवणाहो, कवणस्सु (किनके लिए) (किसके लिए) (किनका, किनकी, किनके) ' (किसका, किसकी, किसके) पंचमी . - कवणहां, 'कवणाहां (किस से) सप्तमी कवणहिं, 'कवणाहिं - (किसमें, किस पर) कवणहुं, 'कवणाहुं (किन से) कवणहिं, 'कवणाहिं (किनमें, किन पर) अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण (107) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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