Book Title: Apbhramsa Hindi Vyakaran
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 115
________________ प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी. व षष्ठी पंचमी सप्तमी प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी सप्तमी (100) एकवचन हो ( यह, इसने ) हो (इसे, इसको) एतेण एतेणं, एतें ( इससे, इसके द्वारा ) एत, एता, एतसु, "एतासु, एतहो, "एताहो, एतस्सु (इसके लिए) (इसका, इसकी, एतहां, ‘एताहां, (इसं से) एतहिं, "एताहिं (इसमें, इस पर) एकवचन हु ( यह, इसने ) पुल्लिंग - एत (यह ) इसके) नपुंसकलिंग - एत (यह ) एहु (इसे, इसको) एतेण, एतेणं, तें ( इससे, इसके द्वारा ) (इस से) एतहिं, "एताहिं (इसमें, इस पर ) Jain Education International एत, "एता, एतसु, “एतासु, एतस्सु एतहो, एताहो, (इसके लिए) (इसका, इसकी, इसके) एतहां, "एताहां, बहुवचन एइ ( ये, इन्होंने) एइ (इन्हें, इनको) एतहिं, "एताहिं, एतेहिं (इनसे, इनके द्वारा ) एत, "एता, एतहं, "एताहं (इनके लिए) (इनका, इनकी, इनके) तहुँ, ताहुँ (इन से) हिं, हिं (इनमें, इन पर ) बहुवचन एइ (ये इन्होंने) एइ ( इन्हें, इनको) एतहिं, "एताहिं, एतेहिं (इनसे, इनके द्वारा) एत, "एता, एतहं, "एताहं (इनके लिए) (इनका, इनकी, इनके) For Personal & Private Use Only तहु, ताहु (इन से) एतहिं, एताहिं (इनमें, इन पर ) अपभ्रंश - हिन्दी-व्याकरण www.jainelibrary.org

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