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(ग) (हस+हि+इरे) = हसिहिइरे या हसिहिरे/हसेहिइरे या हसेहिरे =
(वे दोनों/वे सब) हँसेंगे/हँसेंगी। (भ.अ.पु.बहु.) (ठा+हि+इरे) = ठाहिइरे या ठाहिरे = (वे दोनों/वे सब)ठहरेंगे/ठहरेंगी।(भ.अ.पु.बहु.) (हो+हि+इरे) होहिइरे या होहिरे=(वे दोनों/वे सब) होंगे/होंगी। (भ.अ.पु.बहु.)
विधि एवं आज्ञा
उत्तम पुरुष एकवचन 1/1 15. अपभ्रंश भाषा में अकारान्त, आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं
के विधि एवं आज्ञा के उत्तम पुरुष एकवचन में प्राकृत भाषा के अनुसार 'मुं' प्रत्यय क्रियाओं में लगता है। 'मु' प्रत्यय लगने पर अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' भी हो जाता है। जैसे(हस+मु) = हसमु/हसेमु = (मैं) हँसू। (वि. उ.पु. एक.) (ठा+मु) = ठामु = (मैं) ठहरूँ। (वि.उ.पु.एक.) (हो+मु) = होमु = (मैं) होऊँ। (वि.उ.पु.एक.)
. . उत्तम पुरुष बहुवचन 1/2 16. अपभ्रंश भाषा में अकारान्त, आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं
के विधि एवं आज्ञा के उत्तम पुरुष बहुवचन में प्राकृत भाषाके अनुसार .. 'मो' प्रत्यय क्रियाओं में लगता है। 'मो' प्रत्यय लगने पर अकारान्त
- क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'आ' और 'ए' भी हो जाता है। जैसे(क) (हस+मो)-हसमो/हसामो/हसेमो (हम दोनों/हम सब) हँसें। (वि.उ.पु.बहु.) - (ठा+मो) = ठामो = (हम दोनों/हम सब) ठहरें। (वि.उ.पु.बहु.)
(हो+मो) = होमो = (हम दोनों/हम सब) होवें। (वि.उ.पु.बहु.)
अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण
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