Book Title: Apbhramsa Bharti 2003 15 16
Author(s): Kamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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अपभ्रंश भारती 15-16
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कामसूत्र- जयमंगला टीका, संपा.- देवदत्त शास्त्री, प्र.- चौखम्भा संस्कृत सिरीज, वाराणसी, 1964, ईसवी, पृष्ठ-377 वही, श्री विष्णुपुराण 5.13.50 वही, 5.13.51 श्रीमद्भागवत, स्क. 10, अध्याय-3, श्लोक-20 बीसलदेव रासो, नाल्ह, संपा.-सत्यजीवन शर्मा, प्र.-नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, पृष्ठ-5 उपदेश रसायन रास, जिनदत्त सूरि, संगृहीत-रास और रासान्वयीकाव्य प्र.- नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, पृष्ठ-8 सप्तक्षेत्रि रासु- प्राचीन गुर्जर काव्य संग्रह, पृष्ठ-52 समरारास-वही, पृष्ठ-36 वही, काव्यानुशासन, हेमचन्द्र, 8.4 हिन्दी साहित्य का वृहत् इतिहास, सम्पादक- डॉ. राजबली पाण्डेय, प्रकाशकनागरी प्रचरिणी सभा, काशी, प्रथमावृत्ति, पृष्ठ-414 अनेकार्थ संग्रह-कोष, हेमचन्द्र नाट्यदर्पण, प्र.-ओरियण्टल इन्स्टीट्यूट, बड़ौदा- 1929 ई., पृष्ठ-214 नवतत्त्व प्रकरण भाष्य, अभयदेव सूरि, पृष्ठ-51 अपभ्रंश काव्यत्रयी, सं.- ला.म. गाँधी, प्रकाशक- ओरियण्टल इंस्टीट्यूट, बड़ौदा, सन् 1927 ई. में संकलित रास और रासान्वयी काव्य, सम्पादक- डॉ. दशरथ ओझा और डॉ. दशरथ शर्मा, प्रकाशक- नागरी प्रचरिणी सभा, काशी, सं.-2016 पृष्ठ-61 भरतेश्वर बाहुबलि रास, शालिप्रभप्रसूरि, पद संख्या-106
17. 18. 19. 20.
22.
अध्यक्ष, स्नातकोत्तर भोजपुरी विभाग वीर कुँवरसिंह विश्वविद्यालय, आरा, बिहार

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