Book Title: Apath ka Path
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 33
________________ दुःख मुक्ति का उपाय । - - चक्षुष्मान् ! रोटी भूख बुझाने के लिए है। यह रोटी का उपयोग है। जब रोटी में मुर्छा हो जाती है, आसक्ति जुड़ जाती है तब रोटी भूख बुझाने के लिए नहीं होती, वह लोलुपता बढ़ाने के लिए हो जाती है। जो उपयोगी होती है, वह सताने लग जाती है, दुःख देने लग जाती है। दुःख से मुक्ति का उपाय है—देखना । महावीर ने कहा- यदि तुम दुःख से छुटकारा पाना चाहते हो तो संग को देखो, आसक्ति को देखो, मूर्छा को देखो।। तुम्हारे पास चक्षु है । उससे तुम पदार्थ को देखते हो । पदार्थ पदार्थ है । वह दुःख नहीं देता। दुःख देती है पदार्थ के प्रति होने वाली मूर्छा अथवा आसक्ति । उसे आँख से नहीं देखा जा सकता । उसे विवेक चक्षु से देखा जा सकता है। उस विवेक चक्षु को उद्घाटित करने के लिए भगवान् महावीर ने तत्त्व बोध दिया तम्हा संगं ति पासह। तुम दुःख से छुटकारा पाना चाहते हो इसलिए संग को देखो। 1 अप्रेल, 1995 रतनगढ़ D 32 अपथ का पथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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