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महेशमादल गोमुबा कहनी निस्वर से बोल मा स्वर नि यो जीवणिस्सिया । पं० [25 | मांगोगो मुद्धि सिद्धमरे संबोधनं । मझिमे, २०- यार पकरी प्रतिष्ठान र हताश्वं बश्नेह से वरतेपड०३वस मातमो निबाधस्वरव जीοगोधी का मा मावानित्र टेडी प्रसिधवंचमस्रवो स्वरवोले मोटोह मानुस० लनास कंथ मुकन
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झलरी । उवल एपहिया धन्यमंस बरोरेव महा स तमे लुज नदीम ताबीजाय से थम्मान समाज इति : १कहितोना ने : सो हदसेकाहनानि प्राप्तो विनोना के भूमि घरमात्त: नर्दन ब्रसमा मात्र मुमते खास म हा ना हो मम त्वं समुचते वायुसमु बिनादिकं समाह्तः नानाधीन है गधा ते हन ऍड ना ३ वा : तो मानेनसीहत स्थान बीत पंच मे त्वं श्री धीयते पनिसंय ते समात एसीसान स्वरान समास्ववपापी व तत्वविधाय एयसि एसत एहसवाल सुतस यात मनिषा ती स्वराध स्मितिनी सा स्तेन हेन्ड नासात स्वरमा सात सय रुप्पा ते तेरे बाले बडंग स्वरक हिनामा तीते की स
लरकला ॥ पं० नं० डोल) चिताकयनविसवो पुताद्यमिताय निबुल म्यार तेहने पुत्र मित्रा रिषभस्वर वामिनाथ वस्त्र सुगंध अलंकारमा करते बहुस्वरनोधली ना रानी होइ "क नारि होइवले रिसनेएडल्स डोसे ॥ क्वधा लिए॥ बकरे
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गेारस्वरोध जीत-क्त प्रधान वि० व्रतीच्या जीविकानी काव्य नोकर हारक नोजाल होइ ली कलाक विश्वरप्रज्ञाव
पंगवरुपात ०सेदे वाले सम्बडम्वर वानि
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इग्निस ला लिया | धारिगी इजतिला ॥ वावितिकलाहिया हवंतिक
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जे जे क्ली गीत फक्त ना जाने रासा तोपलवार गामी ३१०
मध्यम स्वरमेत मध्यम स्वरनोधली
हो हो सु०सुबजी वा नावी नारदे नार होइ
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लापता जेान्नसच पारा १० ॥ ममता मंता उति हजिविता य
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