Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam

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Page 197
________________ प्रविरहितनित केवलो कास मायक ना महिवर्जल हारलोने उतरदे सर समसु आगारीमा वलियां साथ क पानिए उत्तर सभ तसविर कल्किन विने विम सामाधकके से हो रहे सा विश्एकनव मागरिसाए वश्यारूति एनान के प्रागरसा एवं श्या तिनाथ बारा २३ उत्तर लोकु सेनिरविसेस एच एच सचि इस नाव निश्चे ताजे क्तित्ते निरुक्ति समतदिवी मोहम्मो हिसावदस वो हिन्प्रति वासु वगढ तयतच्चनचिहितिस समय पवा दिएमा इनिक सा२१२५ वे द्वारा थानी संपाविषयम ने विस्तारसहितो व सक नियुक्ति श्रनेत्ते हनी टिका थकी जालविते एउवात नियुक्ति अनुगमन्थको लते मसिकानिफक्त अनुम त निवारा तिजा एस्पेजे सं० पोताना सिधात जनजीवादिकथन वो हम परास्त प्रधान श्रादिकमर्थ नुवो लए हार एo एम परमपद तेजी वासना हे नवे व साविक समय तेज्ञान नाकारलामी त् कर्मक्षयरुपते मोत सामा य क प य वा सामायी वतिर तनकर्तिर्यनार्थोक हैपदति वाश्यते श्रउचाउ परसमयपदं वा एवं बंध मोरक ॥ सामाश्यपवा । तत्र ते मित्र घारिसमा । केसिंनिव ८ केकीर | न० श्री साध (क० कोद्रक अर्थी जापा (व्होको केके तलाक अधिका साकंन जापान ६३व ता के वाहिहिगाया भवत्नि किं सिंचेव केवल हि गायनवति) तो ते -प्रधी कार ( श्र० जावयाने पदे प०पदबकर यथाकरमि तुपरवाह सुत्रवाचन तेसहित यथाकरे मीनं ते साधा क सिम एहि गयाएं अनिगमण हयाए पुरंपदेण्चत रस्सामि ॥ नवृत्त सामा यकर ए३२ मार्थ की एयथाकर ग्रहमा सयथाभ्यसतो मातॐ ततियन्मयोग द्वार सहिययपद मीऊ रहन देस जसा माटाक°समरन यान४० मात्र मिलवानी त्रयोनिमायला ते सा माय के ३ युक्तिनु कहिपत्र प कमी युक्ति मधे करि है बाई पति मुमे तवस्वान ते एमि वेवपदा ने क पहनो एक पढ़ चविग्रहो जमानाय से नवरसूत्र वा बहालम चालणा एवं सिंधी ये ।। जा एपा करते स नागमेता अन्य समाचार सासवे सुज हुल हा सप्रया १२१ के समान चलगि रहालय न्यू सेवनाने ताउलाहन वो चरिते तो तली थी प्रावेतिहास रहेसर तिनसरहा मुत समय कानुयो नाथचा ॥ चिन्नुस हम सम सबा सहसबुक संच हो र विरिया 20 सामार्थ कर्यन के तलो क्षेत्र र য

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