Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam

View full book text
Previous | Next

Page 172
________________ पा० गाथानो चोथो भाग माटे सेनाब गाथाने संष्पर सं० गति से ब्यात्तेसं सि。लोगनी संब्या वे० कप विसेष ते संपर तानि ती बे ष्याती ब ती पार्थन मेल दो से संपर साब उपक्रमादिधन्त्रनुयोगद्वार ते संख्या ता का० काली सुत्र प्रमाना संष्पा १ संरका | पाथरका गाहा से का। संचाय से रखा सिलोगसंखा | वेह से खा निति से खा उ०उहे सासंब्यावर | अधयन संयाना सुत्रबंध संख्या अग्नि संख्या से० ते ए अलुआहार सेखा उदेससंसा अशय संका मुखंधसंरकागमेख सेत | कालि अथ कीलले । रष्टी वादयर मालनी संख्या | अनेकप्रकारेषक या तेरे बा | १० व्यय परिमा(एँ) संखा सिकिं तदिहिवाय सुयपरिमाणमखा योग विहा | पं० ति० पा पयात संध्या ज्ञावत प्रयोगद्वार संध्या | पावा | मोटा प्राप्रतिधी कार विशेष से संध्याता वधुसे या वर्स का जावा एउगदान से खा पाऊडरखा पाऊडियापाडिया से रखा २ व सेसं० तेए "दाबामुपरिमा सेतं ते परिमालसे S से० अथ कोलते | ज्ञान कपजे से ष्या ते ज्ञा नसेब्यू 2 सखा से दिडवाय सुटा परिमाएसं खासेतं) परिमालसेवा से किं तं जाता एका सरखा २ नाते सहि सिजालीने निमतजाले ते निमिति का तनेजा होते काल ज्ञानी बेडजा ऐसे जोता तसईस दिन लिम्य) लिनिमिर्तनिमिति । उकालं कालना एलीवेद्यावि सेर्त०ले एज्ञानर्स से०मथ को एते गावानी संपा२ सेतापाला सखा। सेकिंत जल एम्सखा २ एको गउवे इदध्य | निश्से खा जगत एक तलवायलउन या मिसोमाटिदिदेगलवा एकएकएक ते मा टेट्रो० मा नी से पा ६ ठपर

Loading...

Page Navigation
1 ... 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200