Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam

View full book text
Previous | Next

Page 171
________________ बे मतो गागा धातेरेषा ज° जिम म्हे हवमान परिनिनवस्ती के बजा था का स्त्री ना करतलसरी बाऊ जासर्व लोकना मन तेनेत्र त्र्यनंनी जम्हे तह हे हारी दिसा बीतिमत्र • नेवि en नन ही 30 बोल इ पं० व पाहूरुप जेड हे प्रापतीसमधी बीवी ज० जिम पलहे हिवडाजिरणा तथा स्पो एम० कहे बर नकरवोन्प्रनेपरनीसमधी हे बी ही लान कर बी एम कु मोहिया त्रहे ॥ श्रप्पाल्तेश्चड || पंमुयपत किसलया ऊली ऊपली प्रति कहते | १० बाल 1 पात्रमेवावि नकिचिनविदी ६ पत्र से बोलतेत्रा बता वस्तुनेद जण विवोह लहाने सलाना एस लोवेने न ही पात्रतावस्तु ती वस्तु का०काल प्राथ वाम कालपत्र निपाठीसरे कानुयो पत्त 0 वडय मानला ८०८६० नेम्हे पता हो स्काल थापी दिके वस्तु कि०किसलने ने m विवि क धा सेबबुदवाने मधे ला वो किसल चहुपाएँ] ॥ नवमा खलु एसकया ॥ नविय तोपमानमती वस्तु 303पमाकिज अ० निमजे हवायर्धन | तिमते हवा से असंत ॥ ज्वमहारज हा खरविसा ऐ तहास सेत० ते उपमा संष्पा यादी संध्या । ह० वैन का पकी सेहे | को० अथकोणते सरकार से कि ते ती नाविश्टंग ते परमालसे सविसार ऐसे तर परमा सरका|| उवि पं० त० ॥ कालि अथको लते काली एसुश्च नानी प्रथम त्वरम्प्रहरन ली एते कालिकसुन तेहाक्षरनाम तेहने बिंबे वो त्यो जी वादिकवस्तुमा ताया एतेही संख्या १ असुखपरिमाए-सरका प० जीवादिक नाप्रतेकर अनंतापर्याबेतेपर्या दि०दीवाप्रमानी संख्या २ दिडिवायपरमाण || सरका एसे किं तं अनेक प्रकारची से. देखा बे कार संष्या ताळे यादि पर्णव तं पदं अथवा अक्षरना संजोग भेष्यो । सिधाप्रसिधव दब्या नाव ता का लिएसुय परिमालसेका ॥ वि पं० तं पाव संखारकर संस्काचिय प्रमाण से ष्पा इमज तापने J

Loading...

Page Navigation
1 ... 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200