________________
कानुयो टप
उत्तर कालमुपता काल ते अमालीतेन प्र निम्न बनामगोत्र नं. को डिए
एनं ते ।
जालथी एक समय नेत्र तक्र ांतर तवोध थोक्त का लपवित्रिना वसंवा मानव मानी इषक हबल्वायुषानाजी व मोगलान् वनुनि केवलीन कर ते निरा कन्या जे न ली जो निरएयनजाऐ तोजनम नोतो तिभागं निमु नाम वधा युबा वालोजीव एकन विकसं बकिम जाल्यो अमे हवेने गमादिकनमध्ये को नयन्त्रि विधुसं ते हनीस्टि ति कि मजाली अमध्ये कि स्पा संघ ने वांबे माने ते विचारी ए बै निमुना मगो एती काल के वचिरहो२॥ जहले एगूसमय ॥ उक्को से निगम संग्रह व व्यहाररात्रिलन दृष्टपथत्रिविध संघ ने वास इमानते अतिमुषनामगोत्र मिराज जोग कुमार यस्वज देवा व एकनक्ति कर बधायबर ने राजा कहि वो लावी एथी थाल योग
J
ऐ०
तेली
ऍन्तीमुतं ) उक्कीस एको एउक्स कब गमे संग ववा रोति ॥ को धोया घाल्पो न थी। रिजुन पूर्वला थी विसुध एक नवि कसे बनेनमा नावसंबरूप काटथीले यात एनो घो वोली एं नेजेजली प्रतिवेज लोनली विसंखेश्वरनगनविर्यवधायं । अनिभुनामगोयं । विहं प्रकारे द्रव्यसंमाने ते दे बाधा १ ति० त्रिलसादिकून चुना ते तिपल अतिविसुधने तेन लीबध् श्रनेनामगोत्र कष रुपली प्रतितरवला की नमाने एकॅ निमूना मौ संववधाभ्यवं ॥ 'अनिभुद्दे नामगेोर्थव तिन्निसहन्न या।।] त्रतेसंषने मानेयद पिए ३नय नाव जने माने ब्रयनेन माने तो पूर्व नयना से०ते जसं ब्याना जालनोसरी र संक्षेपवला श्री कार्य नेटको प्रथम काररूप व्य प्रमा लक रेते ते जली मानो २ ए मने जाल होनार नो सरीर अनिभुनामजोधसंखंति से सजाए सरीरजवियस अथ कोणते उपमा संष्पा
मी
| च०-आर प्रकारे परुपी ते० ते देबाने बैं वरचितावास खेसेर्त मरवा से र्कितं । वसंवा २/विहापं० ते० ८५
एवैथी व्यतिरक्त
मेरी द्रव्य संध्या
好
तते द्र
C
ब्या