Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam
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1 से ते०लेट [
कानुयो श्याजावत्तरुभयसमो यारे
२०३
| सेतं ते वीश्वरस्तव समोयारे सेनामागमा वेपो ते० प्रात्म सम
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जबसरीर
इसरीर
वतिरिक्त
द्रव्यसमवना
हमाली मालीयसतो खरश्य । सेतजागसरीर | भवियसरीर नागमयी हव्य समवतार T समोयाने सत्तसमोयारे से किंत
सेत० श्रात्मसमवतार सर्व सुगम ते एत्रव्यसमवत्ता
से० अथ
तलथसमव निमरतन्त्र
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आसमारे
खेत समाधारे २६ विहे । १० नं० प्रायसमो यरेय (नजयस मोथारेय नरहे वा से प्रा० काम नाव वोताना क्षेत्र ने विधेसमा रहनेवेने विषसमावबेकरी | ॐ० जे तू दीपने विशेषण समव तरमा यो कहिना श्रायासमोर हूदीयसमो यस त्रिबालोकने विबे सम
लास्मोयार
यते अ० मात्मनाव चल रहे एमजे सुदीपनामा ही पायात्मना वने विष समय पोताना क्षेत्रने विषश्प मनावतार कराने विषेमव श्रायनवियर्ज ही वेरीकेत्राय समरे नावे समोर
बतरसमाए
श्रात्मानावपि
।
| तिरियलो एसमीधर६ ॥
यसमो यारे
त्रिबालोक | माताजा समवतारवे । श्रात्मना वन्त्रि वा लोक नेवि प्रेममा व श्रायना वेवात्ति रियलाए | प्राय सभी मारे । आाय नावेस लोकने विषसमाए प्राप्रात्मभावने विशेष सम इलोकपल ए० एम लो कने वा यजावेन वर
ततेने विषेस मवतर वेक
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मोयर | तनय समोयारेल || लोएसमोयर२ | न्यायभावे एलोयवि
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