Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam

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Page 118
________________ पलाय-क्तयथावस्तिचितवातिवारच्यारसमलजी एकगुलविषनपारसल्संगलवाचकालविता ननवासीधागलरूपवाहल्पवणासघातेच्याशलन्यारीप्रेगुलरीधमसिंगल विनासह सेवकपदीधप्रमालसचीप्रमालालनीपजेपारसी मुलीनगुणमा एभिगुलागलेषपातलोन्वेषगे पेवताथवेचिहाथरस्था सहस्सगुपिण्यपमाल्लनायगलप्पमाणेलगुलाउपादोपायाविही। रो०वहाचाका तीस्वमुखसहस्त्रधनुबगाच्याना जीजन उपयोश्यणीकारक दोधणुसहस्सागाज्याचतारमाया प्रमालागासप्रजननतरकहरलप्रभाविवालिकामालिककाम जवनपतीप्रमष वीलाबजाजमनापात्लाना बनन। जोय एयण पमाणाले किंपज्यपुढविणकडापायालाणाजवणालेजव नवनपतीनतिरावायाचनातनकासानाचे निम्नाकनाशवचरस के०कत्समुकल्पनाविमाननुविमा स्निवल हनुमरकराव सीन काम पायकानु नमाक्तिन पापण्डाहानिरया निरयावलियाणा निश्यपछडाकप्यानिमाविमणा विमानमापाथ निम्न टेकवलकरादिक नु.पत्तनु सीमयुक्तषवत्तनाथास्फूर कानु विजयनु बलिया बिमाणपन्डा टेका कुरालासेला सिलीचमाराविजयाग वषाभापवावबहाधरषचना वर्षबनर्वसमुहयेलीनस्व व्धदीकाहारमा चारपातार चनु त मा वखारा) वासावासहा वसहरपक्यामविलाएं वेश्याल दातोरणाचा समुद्रन लावधळ (उचउपरी शुरूप मवीए परमाणुगल | संक्षेषयको विनिताप्रकारेषरुपात है। मा समुदायामविस्नुञ्छत्रुवहपरिवेवोमविवि सेसमास तिवहे पलने तं०

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