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सर्वशाप्रकारे यथात थलष्यातोल्यु से यथा ष्यात पडिवाश्य ग्रहखाय चरि प्रक्लने ११ मिगुणा गले से पछि केवली क्षेत्र परिवार सेतं ते चारित्रगुणप्रमा "वाइ१२ मिगुणवा
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विविडिका यायासुम से प्राय कबानाउदा प्रकारे वरुथ्यो भाव थी निरंती ते देवाळे - चाररूपते. नगुलबमा डु० (५० नं०] केवलीय' सेतंचरितगुणुयमाणे । सेतंजी वगुलबमा ऐ सेतसे जीवमुलमा तेरा गुल प्रमाण अथ को ता ने स्वरूपवस्तु एक से कर जाते तेनयत जमाव स्त पत्र मालसात प्रकारे ते बाहेक नानिर्णय सेतंगुलप्यमाणे [सेकिंतनयत्यमाणे २ | सत्तनिर्हे ये० नं० अलेज मे संत हे वव हारे ॥ नाते सामान रुप सर्व वस्तु ने संग्रह एक वर्ष लार हतने मधत्ते रिजुन यस प्रधानजेन रेते संग्रह लोकप्रहार प्रधानले निज यते तेनयम नि कोणते बहार यस समनिरुद् वव्यहारनयरि जुसरल एवंभूसे किंतमेति विदे (पे० ति० | पचाहि कतेक पक्षको स्वास तेलसहि रिहंते परसारितेल सेकित हित्तेण्वसहिं ।। दिहे. कोलते पायाने हाते कोक तक सोहिन अटवी सन् ष पाथो तेम ध रेसप्रसि वना तावादी धधान माविशेष नेहन का सदिएँ । सेकिंत्तं । पनादितेल सिजहाना भए के इस रिसेपर हा प काय वान ली जाएतले एक प्रने रासक) देषी ने इम बोल किसान बान नु जाइ बेति प्रवि
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