Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam

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Page 164
________________ सेवन एव सतीने वृष्ण स लागासी बे तसलाज ने विषे वसर बेए बोली एवरेस्था | तापायला स्वरूपने विष सर्वपदार्थ वस शनविष इव स तो न दोलि निलमनयनेम अनन्त वस्तु न्न वस्तु नेवि के कदापि सेन व‍ सुन्त्रागा सच एसे सुगाटी ते सुवसर । तिल्हे (सहनया | आय नावेव ज्ञव ० कोल प्रदेसह घातक नेगममतनुन्प्रनु अनल बता दे सते दे तकनी शरीर सारी बा धर्मास्तिकायनोजे प्रदेस प्र० सरहिट ते २ से किंते पएस डित्ते२ | ऐशमोनल २ब एँहूँ |यसोतंयएसी मधमाका सप्रदेश जीवप्र हे सबंध हे सपुलद्रव्य समुह नो दिक आहेस ते हनो प्रदेस ने मन मदोलता टेस कहि तपाधर्मास्तिकायादिकनोइया एपएसनिष्पले एयवत्त Wa धम्मपल्सी। गासवएसी (जीवयएसो ॥ खंधपएसो प्रतसंग्रह मनोल 1 लवयंले गमसँग नलइ जलन एसि बल्ह । मो देसजेसनो प्रदेस तो वस्तुथी तेज हन्यनो हो इजे हनी देसते हुनो प्रदेस ज० निमको उत्तर कहे लोक सात सेव देवरस ॥ जकादि तो नैविषेप माहरोत्राने पर पण सेते, ते एम मिठो रे एपाउ यस ने मामला हिच एंड पएसो भाणि विच एंड एएमवोल संयते ववहार ल्पोझले बे नयने धवो तेन मघट किस्ान लीजे दे सप्रलेसले नेता मिकी तेप्रयुक्तजेनणीधर्मास्ति काया दिद्रव्य पएसो तंनवन कुम्हा जेसेोदे सए एसो एमजववहार दीसम मदनमोल ली को कश्म कहता हर एम धोतिहास पि दासल खरोकी । सो यदा सो खरो धर्मास्तिकायनो प्रदेश | जावत यसोत धम्मप एसो | जाव पाचन प्रदेस नही इनघटइते | किस्पान बीजेनली जैन एसिपंच हे पए सोल। ननवर ते मा ले पुल बंधनो प्रदेस ता । किधपएसो ॥ एवंव यंत संगड्यवहारोनल

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