Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam

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Page 150
________________ कि० कोलते जी० जीवनेगु ले करीश्रमवा पप्पा ते ० ज्ञानमुले करता ली ते ज्ञानगुलमा च० चारित्र ने गुले करी नवी निगु लेक रिजा लिइने रे आलिए तो चारित्र गुल एजा लिए से जीवगुल माल त्रिल 1 रसम गुल प्रमाल प्रभाल ३ प्रकारे तंजीव गुप्ताले अनिविहे | पं० नं० | नालमुलमा बेसल गुण / चरित सुलयमा सेते प्रथको एते ज्ञानगुणप्रमाए यापकव्या ते बाहे प्रतक्षप्रमा अनुमान उपमा श्रागमप्र अथ कोल प्रमाल प्रमाण माल a त रें से किंत ना लगुलय्यमाणे २ च उवि है। पे० ते० (पचरकेा कमाऐ उनम्मे आप मे से किं प्रतक्षप्रमाल प्रकारे परुव्यो तेहे बा रहीमकरी साक्षात जाणिए चले ही प्रक्षनाथ कोलते प्रतक्ष श्ट्री प्रजेन नीत पचरके २ विहे । प० त० । इरियपचरके नोइहिप चरके से किंर्त हि अप-चरके २ पाच का परुष्णाते है सो श्रोत करीत क्षमा नेत्री का मद्रीय प्रत बाहे कजा लिए तेश्रो प्रतक्ष घाणिनीयप्रत तसे प्रती एक पंचविहे । प० ० | सोहि यपच के वखिदियघाणि० ॥ जिनका सिंसेत ट्रिप प्रतक्ष जाली एएतले ही यनो जात निश्च कही से कि० को तते नो० मोइद्रीयप्रतक्ष जेनी व देषा त्रिको स्वमेव प्रतरूपपलथन श्वरुपी तेदेबा नयन मते वो ज्ञानकहिय चरके अव्यहार नेत्रतजाने से कितनो इदिय फ्क्रखेतिविहे | पं० त० उहिनालयच विज्ञानेकरी प्रतक्ष लिए अवज्ञान केवलज्ञानप्रन से० तेनोइंडीयन त कोणते दू तेन्यवधी ज्ञानीप्रतक्ष मन्मन्त्रप्रतक्ष मान कत्रा थी नाता मना के। मलपावनाय चरके केवल नाएापचरके॥ तनोदि चखे से किंतंय परिवने प्रतक्ष करे त्रित्रि का रेप्पो पु०वाचिकरी प्रभुमा मजा तेर्वदिकस जे परोक्ष नुमान ज्ञाना तेरे माई बैं श्रनुमथाए तेसेव वन सर्वे दिगेजा पे जे श्रथ से साथ साध दिक एमाले तिबहे | पं० सं० ॥ पुत्रेसेसे वैदिह साह म वं मपपलुतेदसाध सेने हलहर दू य

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